संयुक्त राष्ट्र संघ में नस्लवाद पर बोले वाटिकन के पर्यवेक्षक

नस्लवाद पर वाद-विवाद के दौरान एक मिनट का मौन, जिनिवानस्लवाद पर वाद-विवाद के दौरान एक मिनट का मौन, जिनिवा

जिनिवा स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्यालय में गुरुवार को वाटिकन की ओर से परमधर्मपीठीय पर्यवेक्षक एवं वरिष्ठ महाधर्माध्यक्ष ईवान यूरोव्स्की ने मानवाधिकार समिति के 43 वें सत्र में नस्लवाद के विरुद्ध अपना बयान जारी किया।   

विश्व में बढ़ती नस्लवाद की घटनाओं के मद्देनज़र सोमवार को बुरकीना फासो के नेतृत्व में कुछेक सदस्य राष्ट्रों ने नस्लवाद पर वाद-विवाद का प्रस्ताव किया था।

नस्लीय भेदभाव असहनीय
महाधर्माध्यक्ष ईवान यूरोव्स्की ने घोषित किया कि "परमधर्मपीठ अपने इस सुसंगत और दृढ़ विश्वास की पुनरावृत्ति करती है कि किसी भी रूप में नस्लीय भेदभाव सरासर असहनीय है"।

उन्होंने कहा कि इसका आधार इस तथ्य में निहित है कि "मानव परिवार के सभी सदस्य, ईश प्रतिरूप में सृजित मानव व्यक्ति हैं तथा उनकी समान मानव प्रतिष्ठा एवं मर्यादा है। चाहे वे किसी भी जाति, राष्ट्र, लिंग, मूल, संस्कृति या धर्म के ही क्यों न हों, उनकी अंतर्निहित गरिमा का सम्मान किया जाना चाहिये।" अस्तु, "यह राज्य की ज़िम्मेदारी है कि वह प्रत्येक व्यक्ति के मौलिक मानवाधिकारों को "पहचाने, उनकी रक्षा करे तथा उनके सम्मान को बढ़ावा दे"।

मानवाधिकार अनुलंघनीय
खानाबदोशों के तीर्थ में भागलेनेवालों को सम्बोधित सन्त पापा फ्राँसिस के शब्दों को उद्धत कर महाधर्माध्यक्ष यूरोव्स्की ने कहा, "सदियों से चले आ रहे पूर्वाग्रहों और परस्पर अविश्वास को खत्म करने का समय आ गया है जो प्रायः भेदभाव, जातिवाद और जेनोफोबिया का आधार होते हैं। किसी को भी अलग-थलग महसूस नहीं करना चाहिए, और किसी को भी अन्यों की गरिमा और उनके अधिकारों को रौंदने का अधिकार नहीं है।" यह स्मरण दिलाते हुए कि प्रत्येक मानव जीवन पवित्र है, महाधर्माध्यक्ष कहा कि हमें यह पहचानना होगा कि "हिंसा आत्म-विनाशकारी और आत्म-पराजय है। हिंसा से कुछ हासिल नहीं होता, हिंसा से बहुत कुछ खो जाता है"।

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