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संत पापा ने अंतर-कलीसियाई प्रतिबद्धता को नवीनीकृत किया
संत जॉन पॉल द्वितीय के ऐतिहासिक विश्वपत्र "उत उनुम सिंत"(एक होने के लिए) की 25 वीं वर्षगांठ में, संत पापा फ्राँसिस ने अंतर-कलीसियाओं के लिए प्रतिबद्धता को नए सिरे से नवीनीकृत किया।
संत पापा फ्राँसिस ने संत पापा जॉन पॉल द्वितीय के विश्वपत्र ‘उत उनुम सिंत’ की 25 वीं वर्षगांठ पर अंतर-कलीसियाई कार्यों की "अपरिवर्तनीय" प्रतिबद्धता को याद किया।
ख्रीस्तीय एकता को बढ़ावा देने हेतु गठित परमधर्मपीठीय सम्मेलन के अध्यक्ष, कार्डिनल कूर्ट कोच को संबोधित पत्र में संत पापा ने सूचित किया कि ‘उत उनुम सिंत’ को प्रभु के स्वर्गरोहन त्योहार के दिन प्रकाशित किया गया था, "पवित्र आत्मा के संकेत के तहत, एकता में विविधता के निर्माता।” संत पापा ने कहा कि यह एक ही धर्म-विधि और आध्यात्मिक संदर्भ" में है, "अब हम इसे स्मरण करते हैं और ईश्वर के लोगों के लिए इसे एक बार फिर से प्रस्तावित करते हैं।"
आस्था और आभार
संत पापा फ्राँसिस लिखते हैं, "इस सालगिरह पर, मैं प्रभु को उस यात्रा के लिए धन्यवाद देता हूँ, जिसमें उन्होंने हमें ख्रीस्तीय के रुप में पूर्ण सहभागिता की तलाश में यात्रा करने की अनुमति दी है।" वे लिखते हैं कि वे उन लोगों की अधीरता को साझा करते हैं जो अधिक से अधिक प्रगति देखना चाहते हैं लेकिन वे इस पर भी जोर देते हैं कि "हमारे विश्वास और कृतज्ञता में कमी नहीं होनी चाहिए।" संत पापा अलग हुए ख्रीस्तीय भाइयों के बीच "पारस्परिक ज्ञान तथा सम्मान" में वृद्धि और चल रहे "धर्मशास्त्रीय संवाद और उदार संवाद" की ओर इशारा करते हैं साथ ही दैनिक जीवन में विभिन्न प्रकार के अंतर-कलीसियाई सहयोग के रूप में, सकारात्मक कदम जो दूसरे वाटिकन महासभा के बाद से "सदियों के घावों को भरने के लिए" उठाए गए हैं।
संत पापा ने ख्रीस्तीय एकता को बढ़ावा देने हेतु गठित परमधर्मपीठीय सम्मेलन के सभी कामों के लिए अपनी कृतज्ञता व्यक्त की और सम्मेलन द्वारा हाल ही में लिये गये दो पहलों की प्रशंसा करते हैं: पहला- धर्माध्यक्षों के लिए एक नया अंतर-कलीसियाई शिक्षाविद [गाइडबुक] और दूसरा- ‘अक्टा एक्युमेनिका’ नामक पत्रिका का प्रकाशन, जिसे विभाग की सूचना सेवा को नवीनीकृत करने और "एकता की सेवा में काम करने वाले सभी लोगों की सहायता करने" के लिए प्रकाशित किया गया है।
पवित्र आत्मा का उपहार एकता
संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तीय एकता की दिशा में "पहले से हुई प्रगति को ध्यान में रखते हुए" सभी को प्रोत्साहित किया, लेकिन "क्षितिज तक पहुँचने के लिए यह पूछने हेतु प्रोत्साहित किया, "हमें यात्रा में और कितना आगे बढ़ना है?" हालांकि, संत पापा हमें याद दिलाते हैं, कि ख्रिस्तीय एकता "मुख्य रूप से हमारी गतिविधि का परिणाम नहीं है, लेकिन पवित्र आत्मा का उपहार है।" वह एकता, यात्रा के अंत में "एक चमत्कार के रूप में नहीं" आएगी, लेकिन यात्रा के दौरान ही एकता आती है। यह पवित्र आत्मा का काम है। पवित्र आत्मा यात्रा पर ऐसा करता है।”
संत पापा फ्राँसिस ने अपने पत्र को "पवित्र आत्मा द्वारा हमारा मार्गदर्शन करने और नए जोश के साथ अंतर-कलीसियाई कामों को करने के लिए सभी को आमंत्रित करते हुए समाप्त किया।
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