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संत जॉन पॉल द्वितीय, प्रार्थनामय और दयालु व्यक्ति थे, संत पापा
संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस महागिरजाघर में स्थित संत पापा जॉन पॉल द्वितीय की समाधि पर बनी बलिवेदी पर उनके शत वर्षीय जुबली का पवित्र मिस्सा समारोह का अनुष्ठान किया।
सोमवार 18 मई को संत जॉन पॉल द्वितीय के जन्म (18 मई, 1920) की 100 वीं वर्षगांठ पर, संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस महागिरजाघर में स्थित संत पापा जॉन पॉल द्वितीय की समाधि पर बनी बलिवेदी पर पवित्र मिस्सा समारोह का अनुष्ठान किया। संत पापा के साथ पवित्र मिस्सा करने वालों में, वाटिकन सिटी के लिए संत पापा के विकार जनरल और वाटिकन महागिरजाघर के प्रधान पुरोहित, कार्डिनल अंजेलो कोमास्त्री, परमधर्मपीठीय कोष के दानदाता,पोलिश कार्डिनल कोनराड क्रेजवेस्की, संत पापा जॉन पॉल द्वितीय के परमाध्यक्षीय काल में 18 वर्षों तक धर्मविधि समारोहों के व्यवस्थापक रहे मोन्सिन्योर पिएरो मारिनी और पोलिश महाधर्माध्यक्ष जान रोमियो पावलोव्स्की थे।
सोमवार की सुबह कोरोना वायरस महामारी के कारण लगभग दो महीने के प्रतिबंध के बाद विश्वासियों की एक बहुत ही सीमित संख्या में संत पापा फ्राँसिस ने पवित्र मिस्सा अर्पित किया।
प्रभु ने अपने लोगों का दर्शन किया है
संत पापा ने अपने प्रवचन में विश्वासियों को याद दिलाते हुए कहा कि ईश्वर अपने लोगों से प्यार करते हैं और कठिनाई के समय में वे धर्मी व्यक्ति या नबी को उनके पास भेजते हैं।
हम ईश्वर द्वारा भेजे गए व्यक्ति के रुप में संत पापा जॉन पॉल द्वितीय को देख सकते हैं, जिसे ईश्वर ने अपनी कलीसिया और अपने लोगों के मार्गदर्शन के लिए तैयार किया था। वे कलीसिया के चरवाहे और परमाध्यक्ष बने। "आज, हम कह सकते हैं कि प्रभु ने अपने लोगों का दर्शन किया।"
प्रार्थनामय व्यक्ति
संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि यूँ तो संत पापा जॉन पॉल द्वितीय के बारे बहुत सारी अच्छी बातें कही जा सकती हैं पर आज वे उनके जीवन को चिह्नित करने वाले तीन विशेष गुणों पर ध्यान केंद्रित करेंगे: प्रार्थना, निकटता और दया।
संत पापा के रूप में अपने कई कर्तव्यों के बावजूद,संत जॉन पॉल द्वितीय को हमेशा प्रार्थना करने का समय मिला। "वे भली भांति जानते थे कि परमाध्यक्ष का पहला काम प्रार्थना करना है।" संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि हम प्रेरित चरित में संत पत्रेस की शिक्षा के रुप में पाते हैं, "धर्माध्यक्ष का पहला काम प्रार्थना करना है," संत पापा जॉन पॉल इसे जानते थे और उन्होंने इसका पालन अपने जीवन में किया।
लोगों के करीब
संत पापा जॉन पॉल द्वितीय लोगों के करीब थे, वे कभी अपने लोगों से दूर नहीं हुए। उन्होंने अपने लोगों की खोज में उनसे मुलाकात करने के लिए पूरी दुनिया की यात्रा की थी।
संत पापा ने कहा कि पुराने नियम में, हम देख सकते हैं कि ईश्वर कैसे अपने लोगों के करीब आये। वे मानव बनकर इस धरती पर आये। ईश्वर का बेटा येसु स्वयं अपने लोगों के बीच में रहने लगे।
भले चरवाहे येसु मसीह का अनुसरण संत जॉन पॉल ने किया। वे छोटे-बड़े सभी लोगों के पास गये। उन्होंने अनेक देशों की यात्रा कर शारीरिक रुप उनके करीब पहुँचे।
करुणामय न्याय
संत पाप फ्राँसिस ने कहा कि संत जॉन पॉल द्वितीय करुणामय न्याय के लिए उल्लेखनीय थे। न्याय के प्रति उनका प्रेम,याने ऐसा न्याय जो दया से भरा हो, और इसलिए संत पापा जॉन पॉल द्वितीय भी दया के पात्र थे, "क्योंकि न्याय और दया एक साथ चलते हैं।" संत जॉन पॉल द्वितीय ने ईश्वरीय करुणा की भक्ति को बढ़ावा देने के लिए बहुत कुछ किया, उनका मानना था कि ईश्वर का न्याय, उसकी करुणा है।"
अपने प्रवचन के अंत में संत पापा फ्राँसिस ने कहा, ʺआइये, हम प्रभु से सभी के लिए और विशेष रूप से कलीसिया के चरवाहों के लिए प्रार्थना की कृपा, घनिष्ठता, और दया में न्याय की कृपा की याचना करें।ʺ
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