शांति रैली में हजारों लोगों ने भाग लिया

1 जनवरी विश्व शांति दिवस के अवसर पर इटली के विभिन्न शहरों में हजारों लोगों ने शांति रैली में भाग लिया। रोम शांति रैली कस्तेल संत अंजेलो से शुरू कर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में समाप्त किया गया, जहाँ उन्होंने संत पिता फ्राँसिस के साथ देवदूत प्रार्थना में भाग लिया तथा संत पिता के 53वें विश्व शांति दिवस के संदेश का समर्थन किया।
प्रेस विज्ञति से मिली जानकारी के अनुसार संत इजिदियो समुदाय ने शांति रैली का आयोजन किया था। रैली में युद्ध ग्रस्त देशों के युवाओं एवं शरणार्थियों ने साक्ष्य प्रस्तुत किया।

12 वर्ष की एलेना रोमेओ ने कहा, "नई पीढ़ी शांति एवं पर्यावरण के लिए कार्य कर सकती है और बहुत कुछ करेगी, क्योंकि यह विश्व जैसा है वैसा हम नहीं चाहते।"

संत पिता ने शांति रैली के प्रतिभागियों को सम्बोधित कर कहा कि यह प्रदर्शन न केवल रोम में बल्कि विश्व के विभिन्न शहरों में भी आयोजित किया गया है। संत इजिदियो समुदाय के शांति के स्कूलों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उनके पास "शांति का स्कूल है," और कहा कि "वे आगे बढ़ें।" इजिदियो समुदाय के शांति के स्कूल विश्व के विभिन्न शहरों में स्थापित हैं जिनके द्वारा समुदाय उपनगरों के बच्चों की सहायता करता है, न केवल स्कूल की कठिनाइयों में, बल्कि अहिंसा में बढ़ने, विविधताओं का सम्मान करने और पर्यावरण की रक्षा करने के लिए भी।

सोमालिया के 28 वर्षीय अब्दुल राजाक ने साक्ष्य देते हुए बतलाया कि उसे किस दुखद स्थिति से होकर गुजरना पड़ा। उनके जन्म के दो साल पहले से ही देश में युद्ध शुरू हो चुका था और यह आज भी जारी है। 14 साल की उम्र में उन्होंने यात्रा शुरू की जो उनके लिए मुक्ति की यात्रा थी पर यह यात्रा कई सालों तक लीबिया में अटकी रही। इस दौरान उन्हें मानव तस्करों के हाथों नज़रबंदी शिविर एवं प्रताड़ना के बीच से होकर गुजरना पड़ा। अंततः जुलाई 2017 में वे इटली पहुँचे। उन्होंने कहा कि उन्हें दो शब्दों ने हमेशा साथ दिया, वे शब्द हैं, आशा और शांति। उन्होंने कहा कि इटली में उसके लिए सबसे अधिक प्रभावित करने वाली बात है, हमला किये जाने के डर के बिना घूम पाना। उसने संत इजिदियो समुदाय के प्रति आभार प्रकट किया जिनके द्वारा उन्हें मदद मिली और आज वे स्वयं दूसरों की मदद कर रहे हैं।  

संत इजिदियो समुदाय के अध्यक्ष मार्को इमपालियात्सो ने रैली में भाग लेने वाले सभी प्रकार के लोगों को सम्बोधित कर कहा कि "यह एक ऐसी जनता है जो एक साथ वर्ष की शुरुआत कर रही है जो शांति सिखाती है ”और जो बहुत सारे विरोधों से भरी दुनिया में इसका बचाव करने के लिए तैयार है। शांति की रक्षा हमेशा की जानी चाहिए अन्यथा यह शक्तिशाली लोगों के द्वारा कुचल दी जाएगी। हम विरोध की संस्कृति में जीने के लिए नहीं बुलाये गये हैं। शांति में ही भविष्य है। हम यहाँ उन लोगों की ओर से भी आये हैं जो विश्व में युद्धों के कारण पीड़ित हैं कि शांति के लिए उनकी प्यास को सुना जाए। इसके लिए हम प्रत्येक अपना सहयोग दे सकते हैं। उन्होंने कामना की कि यह शांति की शुरूआत बने।

उन्होंने कहा कि सीरिया, अफगानिस्तान, सोमालिया हमें शांति हेतु बहुत अधिक कार्य करने की याद दिलाते हैं। रैली वालों ने एक बैनरी भी ले रखी थी जिसपर लिखा था, "सब कुछ बदल सकता है।"

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