भारत में 19वीं सदी के शहीदों की संत घोषणा प्रक्रिया को गति

शहीद फादर क्रिक और फादर बोर्री की संत घोषणा प्रक्रिया

फ्राँसीसी मिशनरी फादर निकोलस मिखाएल क्रिक और अगुस्टीन एटिएने बोर्रे की संत घोषणा प्रकिया को गति मिली। वे 165 वर्षों पहले अरूणाचल प्रदेश में शहीद हो गये थे। दोनों शहीदों के जीवन एवं कार्यों पर जाँच करने वाले धर्मप्रांतीय दल ने रविवार को अरूणाचल प्रदेश के तेजू स्थित संत पीटर गिरजाघर में संत घोषणा प्रक्रिया का धर्मप्रांतीय स्तर पर उद्घाटन किया।

पूर्वी अरूणाचल प्रदेश के पुरोहितों, धर्मसमाजियों एवं लोकधर्मियों ने बड़ी संख्या में उद्घाटन समारोह में भाग लिया। समारोह में ख्रीस्तयाग के दौरान धर्मप्रांतीय स्तर पर कार्य करने वाले जाँच दल ने, अपने कर्तव्यों को निष्ठापूर्वक, कलीसिया के नियम अनुसार करने की शपथ खायी।

दोनों फ्राँसीसी मिशनरियों की हत्या सोम्मे गाँव के मिशमी प्रमुख ने चीन की सीमा पर उनके तिब्बत जाने के रास्ते पर वर्ष 1854 को की थी।

उत्तर पूर्वी क्षेत्रीय धर्माध्यक्षों की ओर से सहमति मिलने पर धर्माध्यक्ष जॉर्ज ने संत प्रकरण परिषद हेतु गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ से निहिल ओबस्तात (नो ओबजेक्शन या अनुमति) प्राप्त किया। उसके बाद उन्होंने एक ऐतिहासिक आयोग का गठन किया है जिससे कि इन दोनों मिशनरियों के सभी कार्यों को एकत्र किया जा सके एवं रिपोर्ट तैयार किया जा सके। उन्होंने ईशशास्त्रीय नियंत्रकों (थेओलोजिकल सेंसर) की भी नियुक्ति की, जो प्राप्त सूत्रों पर अध्ययन करेंगे और पुष्टि देंगे कि उनके लेखों में विश्वास एवं नैतिकता से संबंधित कोई गलती नहीं है।

धर्माध्यक्ष जॉर्ज ने ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए कहा, "अरूणाचल प्रदेश की कलीसिया के लिए आज एक महत्वपूर्ण घटना हुई है। धर्मप्रांतीय जाँच बोर्ड के गठन के साथ आज हम इन दोनों सिद्ध व्यक्तियों की संत घोषणा के रास्ते पर दूसरे चरण में प्रवेश कर चुके हैं।"

उन्होंने 15 सितम्बर को कहा, "जब हम आज पवित्र क्रूस का महापर्व मना रहे हैं, हम प्रार्थना करते हैं कि जो कार्य हम इन दो पवित्र व्यक्तियों के लिए करने जा रहे हैं जिन्होंने हमारी धरती पर खून बहाया, जितनी जल्दी हो सके फल उत्पन्न करे।"

नये धर्मप्रांतीय बोर्ड का गठन धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष, संत प्रकरण के पोस्टूलेटर, धर्माध्यक्षीय प्रतिनिधि तथा न्याय, लेख्य प्रमाणक एवं प्रतिलिपिकार के सदस्यों से किया गया है।

संत घोषणा प्रक्रिया को गति मिलने पर तेजू के मिशमी जाति के लोगों ने अपनी खुशी व्यक्त की है। एक काथलिक महिला कैथरिन बो ने कहा, "हम संत घोषणा प्रक्रिया में प्रगति देखकर खुश हैं। हम प्रार्थना करते हैं कि यह दिन कलंक के हर दाग को मिटा दे, जो 165 साल पहले हमारी जाति के लोगों ने उनको मार डालने के कारण लगाया था।"

शहीद क्रिक 35 साल के थे और बोर्री 28 साल जब उन्हें मार डाला गया था। उनके अवशेष अभी भी सोम्मे गांव के लोगों द्वारा संरक्षित हैं।

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