बाल श्रम के विरुद्ध अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर इकबाल मसीह की याद

मलावी के बाल श्रमिक तस्वीरः 10.06. 2019  (AFP or licensors)मलावी के बाल श्रमिक तस्वीरः 10.06. 2019 (AFP or licensors)

स्पेन के ख्रीस्तीय सांस्कृतिक अभियान द्वारा, प्रतिवर्ष 16 अप्रैल को, पाकिस्तान के 12 वर्षीय बाल श्रमिक इकबाल मसीह की याद में बाल श्रम के विरुद्ध अन्तरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। बाल श्रमिकों पर धन कमाने वाले पाकिस्तान के "कालीन माफिया" को उजागर करने के लिये, इकबाल की हत्या 1995 में 16 अप्रैल को कर दी गई थी।

स्पेन का ख्रीस्तीय सांस्कृतिक अभियान, इकबाल मसीह के नाम पर सम्पूर्ण विश्व से बाल श्रम के कलंक को हटाने के लिये प्रयासरत रहा है। अभियान द्वारा 16 अप्रैल को बाल श्रम के विरुद्ध यह दिवस मनाया जाता है, जबकि संयुक्त राष्ट्र संघ ने 12 जून को बाल श्रम विरोधी दिवस घोषित किया है।     

बन्धुआ मज़दूरी का गुलाम
इकबाल मसीह का जन्म 1983 में एक गरीब ईसाई परिवार में लाहौर के निकटवर्ती वाणिज्यिक शहर मुरीदके में हुआ था। बंधुआ मजदूरी का शिकार बने इकबाल को 4 वर्ष की उम्र में अपने माता-पिता द्वारा एक कालीन कारखाने के मालिक से उधार लिए गए 600 रुपए के कर्ज़ भुगतान के लिए रखा गया था।

कारखाने में, इकबाल और अधिकांश अन्य बच्चों को तंग परिस्थितियों में लंबे समय तक काम करना पड़ता था, उन्हें भागने से रोकने के लिए जंजीरों से जकड़ कर रखा जाता था। यह महसूस करते हुए कि परिवार का कर्ज़ जल्द से जल्द भुगतान नहीं किया जा सकेगा, 10 साल की उम्र में, इकबाल किसी तरह फेक्टरी से भाग गया।  

गुलामी से अधिकारों की मांग तक
छः वर्षों तक अमानवीय परिस्थितियों में कुपोषण और गुलामी के शिकार बनाये गये, इकबाल ने "कालीन माफिया" को उजागर किया तथा विश्व से आग्रह किया कि वह गुलाम बच्चों द्वारा बनाए गए कालीनों को न ख़रीदे। 3,000 से अधिक पाकिस्तानी बच्चों को उसने बंधुआ मज़दूरी से बाहर निकलने में सहायता प्रदान की तथा विश्व भर में बाल श्रम के विरुद्ध भाषण दिए। इसी कारण, 16 अप्रैल 1995 को, इकबाल की हत्या कर दी गई थी।

स्पेन के क्रिश्चियन कल्चरल मूवमेंट के अनुसार, समस्त विश्व में 04 साल से लेकर 14 साल की उम्र के लगभग चालीस करोड़ ग़ुलाम बच्चे हैं, जिनमें से एक करोड़ पचास लाख की उम्र पाँच वर्ष से भी कम है।

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