फादर फ्योरितो सिखलाते है ईश्वर के मित्र बनना

संत पापा फ्राँसिस एक युवा पुरोहित के रूप में

यह पहली बार नहीं है जब संत पापा फ्राँसिस ने फादर फ्योरितो द्वारा प्रकाशित किताब की प्रस्तावना लिखी हो। 1985 में उन्होंने फादर फ्योरितो की दूसरी किताब का परिचय देना स्वीकार किया था। जिसका शीर्षक था, "आत्मजाँच एवं आध्यात्मिक संघर्ष"। अर्जेंटीना के जेस्विट फादर मिगुएल एंजेल फ्योरितो जिनका निधन 2005 में हुआ, वे येसु समाज में आध्यात्मिकता के एक महान गुरू थे। उन्होंने लातीनी अमरीकी जेस्विटों की कई पीढ़ियों को प्रशिक्षित किया है। उन प्रशिक्षणार्थियों में से एक हैं संत पापा फ्राँसिस। "ला चिविलता कत्तोलिका" द्वारा माननीय पुरोहित के लेखों को प्रकाशित किया जाएगा, जिसकी प्रस्ताव को संत पापा ने लिखा है और वे स्वयं इस सप्ताह इसे प्रकाशित करेंगे।
संत पापा ने लिखा था कि "आध्यात्मिक आत्मजाँच" का अर्थ है मानव चेहरों पर ईश्वरीय निशान देख पाने का साहस। यही फादर फ्योरितो ने जीवनभर किया है। उन्होंने अपने हृदय में ईश्वर के पदचिन्हों को महसूस किया तथा अपने भाइयों को सिखलाया कि किस तरह "दुष्ट आत्मा" के छल से दूर रहते हुए, ईश्वर को गहराई से स्वीकार करना है।

आत्मा की पाठशाला
35 वर्षों बाद विद्यार्थी बेरगोलियो जब ख्रीस्त के विकर बन गये, तब भी उनमें अपने गुरू फ्योरितो के मार्गदर्शन के लिए उनका आभार कम नहीं हुआ है। यह इस बात से परिलक्षित होती है कि वे उनकी किताब को जेस्विट जेनेरल कुरिया में शुक्रवार 13 दिसम्बर को प्रकाशित करेंगे जब वे अपने पुरोहिताभिषेक की 50वीं जयन्ती मनायेंगे।

फादर फ्योरितो के लेख पर संशोधन फादर जोश लुईस नारवाजा ने किया है एवं उसे 5 संस्करणों में व्यवस्थित किया है। संत पापा फ्राँसिस द्वारा हस्ताक्षरित तीन पृष्ठों की प्रस्तावना में उन्होंने अपने अमर कृतज्ञता को व्यक्त किया है।

दुश्मन की पहचान
संत पापा के अनुसार फादर फ्योरितो ने संत पीटर फाबेर की कहावत को लिया है और कहा है कि "किस तरह लेना है और किस तरह देना है उसे जानना, दो अलग-अलग चीजें हैं तथा दोनों के लिए कृपा की आवश्यकता होती है, जबकि अर्जेंटीना के प्रोफेसर दोनों के धनी थे। उनका लेख आध्यात्मिक करुणा को परिष्कृत करता है, यह उन लोगों के लिए शिक्षा है जो नहीं जानते, उत्तम परामर्श है जिन्हें इनकी आवश्यकता है, जो गलती करते हैं उनके लिए यह सुधार है, दुःखी लोगों के लिए दिलासा है और एकाकी लोगों के लिए धीरज रखने में मदद देता है।

संत पापा गौर करते हैं कि एक उत्तम जेस्विट की तरह फादर फ्योरितो आध्यात्मिक साधना का लगन के साथ अभ्यास करते थे। उन्हें बुरी आत्मा की गंध पहचानने का वरदान मिला था। वे शैतान के कार्यों को जानते थे उसके स्वभावाकर्ष को पहचानते थे और उसके बुरे फलों का खुलासा करते थे। इस तरह शैतान उन्हें छोड़कर भाग जाता था।

बहुतों का भला
संत पापा याद करते हैं कि फादर फ्योरितो एक वार्ता एवं सुनने के व्यक्ति थे। उन्होंने कई लोगों को प्रार्थना करना सिखलाया, ईश्वर के साथ बातचीत करना सिखलाया, वे सब कुछ त्याग देते थे किन्तु अच्छाई में बने रहते थे। वे एक प्रेमी पिता, धैर्यवान शिक्षक एवं आवश्यकता पड़ने पर दृढ़ विरोधी भी थे। वे हमेशा सम्मान एवं निष्ठा का भाव रखते थे एवं किसी से शत्रुता नहीं करते थे।

संत पापा की उम्मीद है कि फादर फ्योरितो की लेख पूरी कलीसिया के लिए मददगार साबित होगी।

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