प्रवासी मजदूरों की मदद करती संत अन्ना की पुत्रियाँ

प्रवासी मजदूरों की मदद करने में सहयोग देने वाले बच्चों और युवाओं के साथ संत अन्ना की पुत्रियाँ प्रवासी मजदूरों की मदद करने में सहयोग देने वाले बच्चों और युवाओं के साथ संत अन्ना की पुत्रियाँ

कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न संकट ने पूरे देश को तबाह कर दिया है, विशेषकर, प्रवासी मजदूर और गरीबों की स्थिति अत्यन्त दयनीय हो गई है। शहरों में वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है जिससे संक्रमित होने के भय तथा रोजगार न मिलने एवं भोजन व अन्य सुविधाओं के अभाव में लोग अपने घर लौट रहे हैं।

सरकार ने पिछले सप्ताह से विशेष ट्रेन की सुविधा प्रदान की है किन्तु कई जटिलताओं के कारण बहुत सारे लोग उन सुविधाओं का लाभ भी नहीं उठा पा रहे हैं और पैदल ही हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर अपने घरों की ओर बढ़ रहे हैं जबकि कुछ लोग बसों, ट्रकों और टेम्पो आदि से अपने घर जा रहे हैं।

शेल्टर होम में धर्मबहनों की सेवा
संत अन्ना की पुत्रियों के धर्मसंघ राँची की धर्मबहनें कई तरह से प्रवासी मजदूरों एवं जरूरतमंद लोगों की मदद कर रही हैं। वे कलीसिया के अधिकारियों के मार्गदर्शन में कांके और माण्डर में दो शेल्टर होम चला रही हैं। सिस्टर शिवानी ने बतलाया कि वहाँ संत अन्ना की धर्मबहनें रात और दिन लोगों की मदद कर रही हैं। संक्रमण की चिंता किये बिना वे हर समय प्रवासी भाई-बहनों का स्वागत करने के लिए तैयार रहती हैं। उन्हें रहने और खाने-पीने की सुविधा देने के साथ-साथ, उनके दुःख-दर्दों को सुनते हुए उनकी शारीरिक और मानसिक तकलीफों को भी दूर करने का प्रयास करती हैं। वे इस कार्य को सरकार के साथ मिलकर कर रही हैं।

राह चलते प्रवासियों को राहत
21 मई से धर्मबहनें शहर के मुख्य मार्गों और चौराहों पर जाकर अपने घर लौटते अथवा दूसरे राज्यों की ओर यात्रा कर रहे प्रवासियों को खाना और पानी देकर मदद कर रही हैं। धर्मसमाज की मदर जेनेरल सिस्टर लिंडा मेरी वॉन खुद धर्मबहनों और स्वयंसेवकों के साथ इस काम को कर रही हैं। मदर जेनेरल की महासचिव सिस्टर शिवानी एक्का ने कहा कि इस लॉकडाउन के समय में प्रवासी मजदूर पैदल अथवा, बसों, ट्रकों और लॉरी में लगातार यात्रा करते हुए अपने घरों की ओर लौट रहे हैं। उन में से कई दो, तीन या चार दिनों तक भूखे रहते हैं। ऐसे लोगों को हम थोड़ा मदद करना चाहती हैं अतः प्रतिदिन सुबह चूड़ा-मूढ़ी, गूड़, जूस और बिस्कुट का 700 से 800 पैकेट बनाकर और साथ में पानी की बोतलें लेकर रिंग रोड में या शहर के अन्य मुख्य मार्गों पर जाकर जरूरतमंद लोगों के बीच उन्हें बांटती हैं। उन्होंने बतलाया कि लोगों के चेहरों पर खुशी देखकर उन्हें आंतरिक सुख मिलती है।

डॉ. स्टीफन का प्रयास
उनके इन कार्यों को देखकर अन्य लोग भी प्रवासी मजदूरों की मदद हेतु आगे आ रहे हैं। सिस्टर शिवानी एक्का डीएसए ने बतलाया कि डॉ. स्टीफन हांसदा की अगुवाई में छोटे-छोटे बच्चों ने घर-घर जाकर दान जमाने का सराहनीय काम किया और दान के रूप में जमा पैसों से गरीबों की मदद करने के लिए चावल, दाल और सोयाबीन बरी खरीदा तथा संत अन्ना धर्मसमाज की मदर जेनेरल सिस्टर लिण्डा मेरी वॉन को सौंप दिया।उसी तरह कुछ युवा और परोपकारी लोग अपनी पहचान बताये बिना पानी और बिस्कुट आदि धर्मबहनों के पास ला रहे हैं ताकि उसके द्वारा वे उन भूखे -प्यासे प्रवासियों को राहत दे सकें।

प्रवासियों का भविष्य
विभिन्न राज्यों से प्रवासी किसी तरह अपने घर पहुँच रहे हैं किन्तु उनका भविष्य अब भी अंधकारमय है। घर वापस लौटने के बाद उन्हें परिवार चलाने के लिए उपाय सोचना पड़ेगा, अतः सरकार की जिम्मेदारी अब भी बनी हुई है कि वह उन्हें रोजगार दिलाने का उपाय करे ताकि लोग अपने ही राज्य में अपनी जीविका अर्जित कर सकें और उन्हें घर से दूर भटकना न पड़े।

मिशनरियों से उम्मीद की जाती है कि वे इसी तरह आगे भी मानवता की सेवा में सरकार का हाथ बटाते रहें ताकि गरीबों और लाचार लोगों को अपनी गरीबी से ऊपर उठने और एक सम्मानित जीवन जीने में सहायता मिल सकें।

झारखंड में कोरोना वायरस से कुल 427 लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है जबकि 4 लोगों की मौत हुई है।

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