पांडिचेरी में फंसे 30 आदिवासी छात्रों की झारखंड वापसी

धर्माध्यक्ष आनंद की अगुवाई में आराधना  धर्माध्यक्ष आनंद की अगुवाई में आराधना

कोरोना वायरस के कारण बंदी में पांडिचेरी में 70 दिनों से फंसे हुए झारखंड के विभिन्न जिलों के 30 आदिवासी विद्यार्थी 30 मई की रात को राँची पहुँचे। उन्होंने खुशी से रांची महाधर्मप्रांत और महाधर्माध्यक्ष के प्रति अपनी वापसी के लिए आभार प्रकट किया। वे विद्यार्थी बंदी के दौरान असहाय और निराश महसूस कर रहे थे, उनमें से एक राहुल मिंज ने पाँच दिन पहले राँची महाधर्मप्रांत के सचिव फादर सुशील टोप्पो से अपनी स्थिति के बारे बताया और वापस लौटने के लिए मदद मांगी। धर्माध्यक्ष थेओदोर मसकरेन्हास ने जल्द इस पर प्रतिक्रिया ली। उन्होंने सीबीसीआई का सहायता कमीशन के पूर्व सचिव फादर देवसहायराज के माध्यम से पांडिचेरी कलीसिया से मदद मांगी। फादर ने वहाँ के स्थानीय कांग्रेस लीडर डॉक्टर सोजासिंगारायर की सहायता से श्री वी. नारायणस्वामी से मुलाकात की और छात्रों वापस लौटने के लिए रेल यात्रा की व्यवस्था करना शुरु किया। चूँकि वहाँ से झारखंड के लिए कोई ट्रेन न होने के कारण, भुवनेश्वर की यात्रा का अगला सबसे अच्छा विकल्प लिया गया। रेलवे से संबंधित सत्तावादी समस्या के कारण अंतिम समय में दो बार यात्रा को रद्द कर दिया गया था। अंत में विद्यार्थी यात्रा कर ओडिशा के खुर्दा जंक्शन तक पहुँचे। छात्रों को 500 किलोमीटर दूर रांची स्थानांतरित करने के लिए परिवहन आवश्यक था। ओडिशा सरकार ने स्पष्ट किया कि वे झारखंडी छात्रों के लिए परिवहन का भुगतान नहीं करेंगे। बस चार्ज और टोल चार्ज, परमिट शुल्क आदि छात्रों को स्वयं प्रबंधन करना होगा। रांची महाधर्मप्रांत ने फैसला किया कि पहले से ही परेशान छात्रों को और परेशान नहीं होना चाहिए, इसलिए उन्होंने छात्रों के रांची आने तक का पूरा खर्च उठाया।

फादर जेराल्ड द्वारा बस की व्यवस्था
इस बीच भुनेश्वर में फादर जेराल्ड रवि डिसूजा एस.जे. ने छात्रों की यात्रा के लिए एक बस की व्यवस्था की और सभी औपचारिकताओं को पूरा किया। परंतु समस्या छात्रों की प्रतीक्षा कर रही थी, ओडिशा के खुर्दा जंक्शन पर रेल अधिकारियों ने छात्रों को यह कहकर उतरने की अनुमति नहीं दी कि उनको छात्रों के आने की कोई सूचना नहीं मिली है। छात्रों को ले जाने वाली बस को खुर्दा रोड से 60 किलोमीटर दूर नेरगुंडी की ओर जाना पड़ा और खुर्दा रोड जंक्शन के बस सटैंड पर बस को खड़ा करना पड़ा। नेरगुंडी स्टेशन पर भी उनका उतरना आसान नहीं था। रेलवे विभाग में अधिकारियों के बीच संचार का अभाव था। फादर जेराल्ड ने बताया कि स्टेशन पर बहुत कड़ी सुरक्षा थी मानों कुछ कुख्यात अपराधी ट्रेन से बाहर आ रहे थे। स्टेशन मास्टर ने परिस्थिति को समझा और उदारता के साथ छात्रों की स्क्रीनिंग और अन्य औपचारिकताओं को पूरा कराकर बस में चढ़ने की अनुमति दी।

50 घंटों की यात्रा समाप्त
नेरगुंडी स्टेशन से 14 घंटों की यात्रा कर छात्र संत जोसेफ हाई स्कूल, ह़ुलहुन्डू पहुँचे। इस तरह अपने होस्टेल से ट्रेन और बस की 50 घंटों यात्रा, 30 मई रात 10 बजे खत्म हुई। महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स टोप्पो, धर्माध्यक्ष थेओदोर मस्करेन्हास, फादर सुशील टोप्पो और एससीजीएम धर्मबहनों ने उनका स्वागत किया।

काथलिक और अन्य धर्मावलम्बी छात्रों ने महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स के साथ मिलकर सर्वशक्तिमान ईश्वर की सुरक्षा और अनुग्रह के लिए धन्यवाद दिया। इस कठिन समय में मदद करने हेतु छात्रों ने राँची महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स, धर्माध्यक्ष थेओदोर मसकरेन्हास और सभी उपकारकों को सहृदय धन्यवाद दिया। क्राइस्ट इन्सटीट्यूट के प्रिंसिपल और अधिकारीगण इस लॉकडाउन के दौरान उनकी उत्तम देखभाल और उनकी यात्रा की तैयारी हेतु प्रशंसा के पात्र हैं। मिस स्मिता मट्ट और राँची जिला प्रशासन ने लगातार जरुरी दिशा निर्देश दिया, जिससे हमारे आदिवासी युवा अपने घर वापस लौट पाये।

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