चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को आज ऑर्बिटर से अलग किया जाएगा, चंद्रमा से महज 119 किमी दूर कक्षा में पहुंचा

चंद्रयान-2

चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग होकर अपनी कक्षा को छोटा करेगा, इसकी 7 सितंबर को चंद्रमा पर लैंडिंग होगी।इसरो चेयरमैन के सिवन के मुताबिक- ये ऐसा ही है मानो बेटी अपने पिता के घर से विदा हो जाएगी।

चंद्रयान-2 अब चंद्रमा से 119 किमी (सबसे नजदीक) से 127 किमी (सबसे दूर) दूरी की अंतिम कक्षा में पहुंच गया है। इसने रविवार शाम 6:21 बजे चंद्रमा की पांचवीं परिक्रमा पूरी की। अब अगले एक साल तक ऑर्बिटर इसी कक्षा में चंद्रमा का चक्कर लगाता रहेगा। उधर, सोमवार दोपहर करीब एक से डेढ़ बजे के बीच चंद्रयान-2 दो हिस्सों में बंट जाएगा। इसका विक्रम लैंडर, ऑर्बिटर से अलग होगा। इसरो चेयरमैन के. सिवन के मुताबिक, ये ऐसा ही है मानो बेटी अपने पिता के घर से विदा हो जाएगी। चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को लॉन्च किया गया था।

अब अगले दो दिन लैंडर अपनी कक्षा को छोटा करता जाएगा और 36 किमी दूर की कक्षा में पहुंचकर चक्कर लगाएगा। इस बीच 3 सितंबर को इसरो लैंडर के साथ एक टेस्ट करेगा, इसे पूरी तरह रोककर तीन सेकंड के लिए विपरीत दिशा में चलाकर परखा जाएगा और फिर वापस उसे अपनी कक्षा में आगे बढ़ाया जाएगा। इसरो इस टेस्ट के जरिए यह पता करेगा कि लैंडर ठीक से काम कर रहा है या नहीं। 4 सितंबर को लैंडर की कक्षा में अंतिम बार बदलाव होगा और अगले तीन दिन उसके सभी उपकरणों की जांच होगी।

6-7 सितंबर के बीच रात को चंद्रमा की सतह पर उतरेगा
6-7 सितंबर की दरमियानी रात 1:40 बजे लैंडर का चंद्रमा की ओर उतरना शुरू होगा और 15 मिनट में 1:55 बजे विक्रम लैंडर चंद्रमा के साउथ पोल पर दो क्रैटर मैंजिनस सी और सिंप्लीयस एन के बीच उतरेगा। लैंडिंग के दो घंटे (3:55 बजे) बाद लैंडर से रैंप बाहर निकलेगा। 5:05 बजे रोवर के सोलर पैनल खुलेंगे। 7 सितंबर को सुबह 5:10 मिनट पर चलना शुरू करेगा और 45 मिनट के बाद 5:55 बजे रोवर चंद्रमा पर उतर जाएगा। रोवर के चंद्रमा पर उतरते ही वह लैंडर और लैंडर रोवर की सेल्फी लेगा जो उसी दिन 11 बजे के आसपास उपलब्ध होगी।

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