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कोविद -19: ब्रजील में भारतीय पुरोहित का निधन
ब्रजील में 40 वर्षों तक एक मिशनरी के रूप में काम करने वाले भारतीय फादर मारियो डो मोंटे बीट्रिज़ डी अल्मेडा की 10 अप्रैल को कोविद -19 की जटिलताओं के कारण मृत्यु हो गई।साओ पाउलो, सोमवार 13 अप्रैल, 2020 (मैटर्स इंडिया) : ब्राजील में वर्षों तक एक मिशनरी के रूप में काम करने वाले एक भारतीय पुरोहित की 10 अप्रैल को कोविद -19 की जटिलताओं के कारण मृत्यु हो गई। वे 81 वर्ष के थे।फादर मारियो डो मोंटे बीट्रिज़ डी अल्मेडा 40 साल से अधिक मिशनरी ब्राजील के सांतो अमारो धर्मप्रांत में सेवारत थे।
उन्हें 11 अप्रैल को साओ पेड्रो डो क्लैरिक के पवित्र संस्कार कब्रिस्तान में दफनाया गया था।
नोसा सेन्होरा डी सबारा के एक लोकधर्मी सिंटिया डिनिज ने कहा कि फादर अल्मेडा ने वर्षों तक लोगों की सेवा की थी। विश्व महामारी कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए उठाये गये कदम के तहत फादर का अंतिम संस्कार बिना लोगों की भागीदारी के संपन्न हुआ। फादर अलमेडा के सम्मान में अंतिम संस्कार का मिस्सा धर्मविधि पल्ली सोशल मीडिया पेज पर लाइव प्रसारित किया गया था और लोगों से पुरोहित की आत्मा की अनंत शांति के लिए प्रार्थना करने का आग्रह किया गया था।
फादर अल्मेडा का जन्म 8 सितंबर, 1938 को पश्चिमी भारत के गोवा में हुआ था और 15 अगस्त, 1962 को उनका पुरोहिताभिषेक हुआ था। सूत्रों के अनुसार, वे गोवा में अपने पुरोहिताभिषेक के बाद मिशनरी के रूप में ब्रजील गए। बाद में, उन्हें सांतो अमारो धर्मप्रांत में शामिल किया गया।
"28 फरवरी 1988 से 6 मार्च, 2003 तक वे नोसा सेन्होरा डी सबारा के पल्ली पुरोहित थे।"
इसके बाद उनकी मृत्यु तक वे साओ पाउलो के सिस्टर्स ऑफ इम्माकुलेट कॉन्सेपशन धर्मसमाज द्वारा संचालित एमिल्स विलेन्यूव स्कूल में चैपलिन थे।
इम्माकुलेट कॉन्सेपशन धर्मसमाज की सिस्टर कैरोलिना नेकेल ने मैटर्स इंडिया को बताया, “फादर अल्मेडा एक उत्साही मिशनरी और गरीबों का प्रेमी थे। वे मिस्सा के बाद परिवारों से मुलाकात करने के लिए गावों का दौरा करते थे। ब्रजील हमेशा उन्हें एक अच्छे पादरी और प्रतिबद्ध मिशनरी के रूप में याद रखेगा। हम उसे याद करेंगे।”
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