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कोविद -19 के अंधेरे में भारतीय धर्मबहनें बन रही हैं चिंगारी
भारत में तालाबंदी से प्रभावित लोगों के बीच बड़ी संख्या में धर्मबहनें काथलिक कलीसिया के मानवीय कार्यों में सबसे आगे हैं।
मानव तस्करी विरोधी गतिविधियों में संलग्न महिलाओं के सबसे बड़े नेटवर्क में से एक है तलिथा कुम अमरत, इंडिया। भारत के विभिन्न हिस्सों में काम करने वाली 76 धर्मबहनें इसकी सदस्य हैं।
इसके सदस्यों ने अप्रत्याशित और गैर-सुसज्जित लॉकडाउन के इस समय जरुरतमंद लोगों तक पहुंचने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। वे बिना किसी हिचकिचाहट के गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा कर रही हैं। उन्होंने स्थानीय प्रशासन को बताया कि वे कलीसिया की ओर से लॉकडाउन में पकड़े गए लोगों के बीच राहत कार्य कर रही हैं।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को उस मध्यरात्रि से 21 दिनों के राष्ट्रव्यापी बंद की घोषणा की थी परंतु बंद रखने की आवश्यक्ता को देखते हुए उन्होंने इसे 3 मई तक और बढ़ा दिया।
लॉकडाउन ने हजारों गरीबों को, विशेष रूप से प्रवासी दिहाड़ी मजदूरों को भुखमरी के कगार में ला खड़ा किया है।
23 भारतीय राज्यों में काम करने वाले तालिथा कुम अमरत सदस्यों ने जरूरतमंदों की मदद के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी। कई धर्मबहनों ने कोरोना वायरस महामारी से लोगों को बचाने के लिए हजारों मास्क सिलाई करना शुरू कर दिया, दूसरों ने अस्पताल के गाउन और कुछ ने तैयार भोजन उन लोगों को देना शुरु किया जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है।
अमरत सदस्यों ने 27,000 परिवारों को भोजन किट और स्वास्थ्य सुरक्षा किट से मदद की है और 17 अप्रैल तक 15,000 से अधिक मास्क और 200 अस्पताल के गाउन बनाए हैं। उन्होंने इस मानवीय मिशन के लिए अपने धर्मसंघ और अन्य स्रोतों से भी धन जुटाया है।
कुछ धर्मबहनों ने प्रवासियों, कागज बीनने वालों, रिक्शा चालकों, घरेलू कामगारों और अपाहिज बच्चों की सेवा की। अन्य लोगों ने दैनिक वेतन भोगी, विधवा, वरिष्ठ नागरिक, ट्रांसजेंडर समुदाय, महिलाओं और बच्चों के आश्रय घरों में और दूर दराज के गांवों के गरीबों को खिलाया।
कुछ धर्मबहनों ने चावल और दाल नमक, तेल, आलू प्याज के खाद्य किट और पकाया भोजन भी दिया। अमरत के कुछ सदस्यों ने स्वास्थ्य सुरक्षा किट वितरित किए, जिनमें मास्क, हैंड सैनिटाइज़र, फिनोल, डेटॉल, सर्फ और साबुन शामिल थे।
तालिथा कुम अमरत
दस वर्ष पहले शुरु किये गये तालिथा कुम अमरत की संस्थापिका एवं निदेशिक बेथनी धर्मसमाज की सिस्टर ज्योति का कहना है कि इसके सदस्य जो कर रहे हैं वह "समय की आवश्यकता" है। उसने यह भी खुशी व्यक्त की कि धर्मबहनों ने बिना किसी डर के समय पर संकट का जवाब दिया। "इस नेटवर्क प्लेटफॉर्म से धर्मबहनों ने बहुत ताकत और साहस हासिल किया है।" उन्होंने कहा कि जरुरत पड़ने पर नेटवर्क एक दूसरे को सहयोग देते हैं, "यह तलिथा कुम अमरत, इंडिया की बहुत ही विशेष बात है।"
रोम स्थित अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क तालिथा कुम के समन्वयक सिस्टर गैब्रिएला बोथानी ने भारतीय धर्मबहनों के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए लिखा, "मुझे यह जानकर बहुत खुशी हो रही है कि भारत में धर्मबहनें कलीसिया की जरूरतों और राष्ट्र की जरूरतों का जवाब दे रही हैं।"
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