कोरोना से जुड़े पांच झूठ / थर्मल गन से संक्रमित की पहचान कर सकते हैं, शरीर पर क्लोरीन छिड़कने से खत्म हाे जाता है वायरस

थर्मल गन थर्मल गन

सीकर. डब्ल्यूएचओ और द लैंसेट के नए शोध में कोरोनावायरस से जुड़े पांच झूठ का खुलासा किया गया है। इस समय ज्यादातर मोहल्ले, घर, ऑफिस, बिल्डिंग, किराने की दुकान और लोकल सैलून इन दिनों इन्फ्रारेड थर्मामीटर गन से लैस हैं। लोग 2,000 से 5,000 हजार रुपए खर्च करके इन्हें खरीद रहे हैं, लेकिन इसे डब्ल्यूएचओ ने खारिज कर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे काेराेना संक्रमित व्यक्ति का पता बिल्कुल भी नहीं लगा सकते हैं। ये तथ्य भी ध्यान रखना चाहिए कि ये गन हवाई अड्डों पर संक्रमण को पकड़ने का प्राथमिक स्रोत थीं, फिर भी संक्रमण इतनी दूर तक फैल गया। इससे इसकी विश्वसनीयता के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है।
इसके अलावा द लैंसेट में छपी एक स्टडी के मुताबिक हेल्थकेयर वर्कर्स को कोरोनावायरस के संक्रमण से बचने के लिए सर्जिकल मास्क के बजाय N-95 रेस्पिरेटर मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए। डब्ल्यूएचओ की ओर से फंडेड स्टडी 172 मौजूदा स्टडीज का मेटा-एनालिसिस है। मास्क को लेकर यह नई स्टडी डब्ल्यूएचओ और अमेरिकी सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) से अलग है, जिसमें सर्जिकल मास्क की सिफारिश की गई है। 

झूठ 1. थर्मल गन के जरिए हम पहचान सकते हैं कि कोई व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित है। 
आम धारणा है कि कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों में थर्मल गन बुखार (यानी नॉर्मल ह्यूमन बॉडी टेम्परेचर से ज्यादा टेम्प्रेचर) का पता लगा सकते हैं। हकीकत यह है कि इससे उन लोगों का पता नहीं चलता, जिनमें कोई बुखार जैसे लक्षण ही नहीं है। दूसरी बात अब 90 फीसदी मरीजों में लक्षण ही नहीं दिख रहे। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि संक्रमित लोगों के बीमार पड़ने व बुखार होने में 2 से 10 दिन का समय लगता है। सिर्फ किसी को बुखार होने का मतलब यह नहीं है कि वह कोरोना से पीड़ित है। 

झूठ 2. घर या किसी व्यक्ति पर केमिकल का छिड़काव कोरोना वायरस काे मार सकता है।
केमिकल का छिड़काव करने वाली डिसइंफेक्टेंट स्प्रे मशीनों के बारे में डब्ल्यूएचओ का कहना है कि घर के अंदर और बाहर इस मशीन से छिड़काव नहीं करना चाहिए। यह फिजिकल और साइकोलॉजिकल लेवल पर नुकसान पहुंचा सकता है। अगर वो शख्स कोरोना वायरस के संपर्क में आया भी है, तो भी शरीर पर डिसइंफेक्टेंट के छिड़काव से अंदर वायरस खत्म नहीं होगा। डब्ल्यूएचओ ने सलाह दी है कि केमिकल के छिड़काव की गलती न करें, ये शरीर के लिए नुकसान साबित हो सकती है।

झूठ 3. शरीर पर अल्कोहल या क्लोरीन का छिड़काव करने से वायरस खत्म हो सकता है।
अल्कोहल और क्लोरीन का छिड़काव करना सरफेस को डिसइंफेक्ट करने का एक बेहतरीन तरीका है। इससे हाथ भी साफ हो सकते हैं, लेकिन डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि संक्रमित व्यक्ति के पूरे शरीर पर कैमिकल छिड़कर वायरस को खत्म नहीं कर सकते। ऐसे पदार्थों का छिड़काव कपड़े, आंख, मुंह के लिए हानिकारक हो सकता है।

झूठ 4. नाक को सलाइन सॉल्यूशन से साफ करना संक्रमण को रोकने में मदद करता है।डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि हर दिन नाक को सलाइन सॉल्यूशन से साफ करना आपको कॉमन कोल्ड से जल्दी निजात दिला सकता है, लेकिन ये कोरोना वायरस या सांस से जुड़े किसी भी अन्य संक्रमण को रोकने के लिए इलाज के तौर पर नहीं अपनाया जा सकता है। इसे लेकर साेशल मीडिया पर किए जा रहे दावे पूरी तरह गलत हैं। 
झूठ 5. आपने 10 सैकंड तक बिना दिक्कत के सांस रोके रखी तो आप संक्रमित नहीं हैं।
यह दावा पूरी तरह गलत है। कोई व्यक्ति कोरोना से संक्रमित है या नहीं इसकी पहचान सिर्फ टेस्ट के जरिए ही की जा सकती है। 10 सेकंड तक सांस रोक पाने का मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति संक्रमित नहीं है। यह कोरोना वायरस ही नहीं, लंग्स से जुड़ी किसी भी बीमारी को लेकर आपका ये सेल्फ टेस्टिंग टेक्निक भारी पड़ सकता है।

तीन फीट दूर रहकर कोरोना का खतरा 13 फीसदी से घटाकर 3 प्रतिशत कर सकते हैं : लैंसेट
लैंसेट की स्टडी में पाया गया है कि फिजिकल डिस्टेंसिंग ट्रांसमिशन का रिस्क घटाने में कारगर है। तीन फीट दूर रहकर ट्रांसमिशन का रिस्क 13 फीसदी से घटकर 3 प्रतिशत कम हो सकता है। इसमें ये भी पाया गया है कि मास्क से इन्फेक्शन का रिस्क 17 प्रतिशत घटकर से 3 फीसदी तक कम हो सकता है और आई प्रोटेक्शन से इन्फेक्शन का रिस्क 16 फीसदी से घटकर 6 प्रतिशत तक कम हो सकता है। स्टडी में सलाह दी गई है कि हैंड हाइजीन का ख्याल, एक-दूसरे से 6 फीट की दूरी और हेल्थ केयर वर्कर्स को N-95 मास्क देना जारी रखना होगा। 

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