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आइए, हम मानवता की सेवा में एकजुट हों, रेक्टर अयातुल्ला
महामारी के समय में गरीबों और ज़रूरतमंदों के लिए संत पापा फ्राँसिस द्वारा दिखाई गई चिंता के लिए धन्यवाद और काथलिक संस्थानों के साथ सहयोग और अनुभवों के "आदान-प्रदान" करने का प्रस्ताव, ताकि मानवता की सेवा में "प्रकाशित धर्मों के समुदाय का निर्माण" किया जा सके।महामारी के समय में गरीबों और ज़रूरतमंदों के लिए संत पापा फ्राँसिस द्वारा दिखाई गई चिंता के लिए धन्यवाद और काथलिक संस्थानों के साथ सहयोग और अनुभवों के "आदान-प्रदान" करने का प्रस्ताव, ताकि मानवता की सेवा में "प्रकाशित धर्मों के समुदाय का निर्माण" किया जा सके। ईरान के प्रतिष्ठित शिया अकादमी के प्रोफेसरों की ओर से क़ोम के अल मुस्तफ़ा अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रेक्टर अयातुल्ला अलिर्ज़ा आरफ़ी द्वारा संत पापा फ्राँसिस को संबोधित एक पत्र में निहित ये प्रमुख संदेश हैं।
अल मुस्तफ़ा अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रेक्टर अयातुल्ला लिखते हैं कि कोरोना वायरस के प्रसार का दुर्भाग्य देशों के लिए पीड़ा का कारण बना है। इससे विद्वान और धार्मिक नेता भी परेशान हैं। क़ोम में और पूरे ईरान में धार्मिक शिक्षक और छात्र "उन लोगों के लिए खुदा से दया की दुआ करते हैं जिन्होंने अपने जीवन को खो दिया है और जो लोग बीमार हैं उनके लिए उचित चिकित्सा मिले। उन्होंने कमजोरों और ज़रूरतमंदों के लिए संत पापा फ्राँसिस द्वारा दिखाई गई चिंता और देखभाल के लिए के लिए आभार व्यक्त किया।
आपात स्थितियों का सामना
विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों की सिफारिशों द्वारा उल्लिखित योजनाओं का पालन करने के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने लिखा, "प्राकृतिक आपदाएं खतरनाक घटनाएं हैं जो मानवता का परीक्षण करती हैं" और ऐसी परिस्थिति में "किसी के मूल को गहरा करने और फिर से जीवित करने की संभावना" जिसमें एक समान भावना और समर्पण की भावना भी उभर सकती है। इस तरह की दुर्घटनाओं के लिए एक सही दृष्टिकोण की जरुरत है। विज्ञान और धर्म के बीच झूठे विरोधाभासों से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि अपने विश्वास की नींव को मजबूत करने के लिए "समाज को विसंगतियों से बचाएं, सर्वशक्तिमान ईश्वर की शाश्वत शक्ति को ध्यान में रखें। ईश्वर की उपस्थिति में प्रार्थना को बढ़ावा दें। अन्याय, भेदभाव, अमानवीय प्रतिबंध, पर्यावरण संकट, युद्ध, आतंकवाद, सामूहिक विनाश के उपकरणों का उत्पादन जैसी अन्य समकालीन आपात स्थितियों का मिलकर सामना करें। "
अनुभवों का आदान-प्रदान
अयातुल्ला अलिर्ज़ा आरफ़ी ने गर्व के साथ कहा कि ईरान में "इन दिनों में हमने लोकप्रिय एकजुटता की अवर्णनीय अभिव्यक्तियों को देखा है," जिसने सरकारी संस्थानों और सभी धार्मिक समूहों के लोगों को एकजुट किया है।अपने पत्र के अंत में उन्होंने घोषणा की कि इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेताओं के मार्गदर्शन में प्रोफेसर, विद्वान और छात्र काथलिक संस्थानों के साथ विज्ञान, सांस्कृति एवं अपने अनुभवों का आदान-प्रदान करने के लिए तैयार हैं, ताकि मानवता की सेवा में "प्रकाशित धर्मों के समुदाय का निर्माण" किया जा सके।
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