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आंखों से अदाकारी में माहिर और मकबूल इरफान नहीं रहे
मौजूदा दौर के बेहतरीन अदाकार इरफान खान अब नहीं रहे। पिछले हफ्ते वे मुंबई के अपने घर के बाथरूम में गिर गए थे। फौरन करीब के एक बड़े अस्पताल में भर्ती कराए गए। बुधवार सुबह बाद खबर आई कि अब वहां से भी चले गए हैं। कभी भी लौटकर नहीं आने के लिए। इंतकाल हो गया है उनका। उम्र महज 53 साल ही थी। चार दिन पहले की बात है, शनिवार को जयपुर में इरफान की अम्मी सईदा बेगम की मौत हुई थी। वे 95 साल की थीं। इरफान नहीं जा पाए थे। अभी के हालात में कौन घर से निकल सकता है भला! शायद इसलिए दुनिया से ही निकल गए। इरफान मूल रूप से जयपुर के ही रहने वाले थे। वे बेहद बीमार थे। सालभर पहले ही लंदन से एक साल तक इलाज कराकर लौटे थे। फिर एक फिल्म की थी, जो अभी मार्च में ही रिलीज हुई है। नाम है ‘अंग्रेजी मीडियम’।
इसके ट्रेलर रिलीज से पहले इरफान ने फरवरी में यू-ट्यूब पर एक मैसेज छोड़ा था- "हैलो भाइयो-बहनो! नमस्कार! मैं इरफान। मैं आज आपके साथ हूं भी और नहीं भी। खैर, ये फिल्म मेरे लिए बेहद खास है। मेरी दिली ख्वाहिश थी कि इसे उतने ही प्यार से प्रमोट करूं, जितने प्यार से हमने इसे बनाया है। पर, मेरे शरीर के भीतर कुछ अनवॉन्टेड मेहमान बैठे हैं। उनसे वार्तालाप चल रहा है। देखते हैं ऊंट किस करवट बैठता है। जैसा भी होगा आपको इत्तिला कर दी जाएगी।’
अब उस ऊंट ने करवट ले ली है और ये खबर भी आ गई। दो साल पहले मार्च 2018 में इरफान को न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर यानी एक रेयर किस्म के ब्रेन कैंसर का पता चला था। तब उन्होंने ट्वीट करके कहा था- ‘जिंदगी में अचानक कुछ ऐसा हो जाता है, जो आपको आगे लेकर जाता है। मेरी जिंदगी के पिछले कुछ दिन ऐसे ही रहे हैं। मुझे न्यूरो इंडोक्राइन ट्यूमर नामक बीमारी हुई है।'
राजस्थान के रहने वाले इरफान एनएसडी के स्टूडेंट थे
इरफान के परिवार में पत्नी सुतापा देवेंद्र सिकदर और दो बेटे बाबिल और अयान हैं। इरफान खान टोंक के नवाबी खानदान से ताल्लुक रखते हैं। उनका बचपन भी टोंक में ही गुजरा। उनके माता-पिता टोंक के ही रहने वाले थे। 7 जनवरी 1967 को जन्मे इरफान का पूरा नाम साहबजादे इरफान अली खान था। वे एक्टिंग में बाय चांस आ गए। वे क्रिकेटर बनना चाहते थे। लेकिन उनके पिता चाहते थे कि वे फैमिली बिजनेस संभालें। हालांकि, इरफान को नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में जाने का मौका मिल गया और यहीं से उनका एक्टिंग करियर शुरू हुआ। छोटे पर्दे पर उनकी शुरुआत ‘श्रीकांत’ और ‘भारत एक खोज’ से हुई।
मकबूल, लंच बॉक्स, पीकू, पान सिंह तोमर ने उन्हें अलग पहचान दिलाई
1988 में आई मीरा नायर की फिल्म ‘सलाम बॉम्बे’ से इरफान ने शुरुआत की थी। बाद में उन्होंने 'मकबूल', 'लाइफ इन अ मेट्रो', 'द लंच बॉक्स', 'पीकू', 'तलवार' और 'हिंदी मीडियम' जैसी फिल्मों में काम किया। उन्हें 'हासिल' (निगेटिव रोल), 'लाइफ इन अ मेट्रो' (बेस्ट एक्टर), 'पान सिंह तोमर' (बेस्ट एक्टर क्रिटिक) और 'हिंदी मीडियम' (बेस्ट एक्टर) के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला।
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