अपने हृदय से पत्थर हटायें, संत पापा

संत पापा फ्राँसिससंत पापा फ्राँसिस

संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 29 मार्च को वाटिकन के प्रेरितिक आवास की लाईब्रेरी से लाइव प्रसारण के माध्यम, देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात।चालीसा काल के पाँचवें रविवार के सुसमाचार पाठ में लाजरूस को जीवन दान दिए जाने की घटना का वर्णन है। (योहन 11.1-45) लाजरूस, मार्था एवं मरियम का भाई था। वे येसु के अच्छे मित्र थे। जब येसु बेथानिया पहुँचे, तब लाजरूस चार दिनों पहले मर चुका था। मार्था उनसे मिलने दौड़ी और उन से कहा, “प्रभु यदि आप यहाँ होते तो मेरा भाई नहीं मरता। (21) येसु ने उत्तर दिया, “तुम्हारा भाई जी उठेगा।” (23) फिर कहा, “पुनरूत्थान और जीवन मैं हूँ। जो मुझ में विश्वास करता है वह मरने पर भी जीवित रहेगा।”(25) यहाँ येसु दिखलाते हैं कि वे ही जीवन के मालिक हैं जो मरे हुए लोगों को भी जीवन देते हैं। उसके बाद मरियम और दूसरे लोग भी आँसू बहाते हुए आए। सुसमाचार बतलाता है कि लोगों को रोते देख येसु बहुत व्याकुल हो उठे और रो पड़े। इसी व्याकुलता के साथ उन्होंने पिता की याद की और आँखें ऊपर उठाकर कहा, “पिता मैं तुझे धन्यवाद देता हूँ तूने मेरी सुन ली है मैं जानता हूँ कि तू सदा मेरी सुनता है।” इतना कहने के बाद ईसा ने ऊँचे स्वर से पुकारा, “लाजरूस बाहर निकल आओ और लाजरूस बाहर निकला।” उसके हाथ और पैर पट्टियों से बंधे थे और उसके मुख पर अंगोछा लपेटा हुआ था। ईसा ने लोगों से कहा इसके बंधन खोल दो और इसे चलने फिरने दो।(44)

ईश्वर जीवन देते और मृत्यु समाप्त कर सकते हैं
संत पापा ने कहा, “यहाँ हम अपने हाथ से स्पर्श कर सकते हैं कि ईश्वर जीवन हैं और जीवन प्रदान करते हैं वे मृत्यु के नाटक को समाप्त कर सकते हैं। येसु अपने मित्र लाजरूस की मृत्यु को रोक सकते थे किन्तु वे प्रियजनों की मृत्यु पर हमारे दुःख में सहभागी होना चाहते थे और सबसे बढ़कर वे मृत्यु पर ईश्वर से सामर्थ्य को प्रकट करना चाहते थे। इस ससुमाचार पाठ में हम देख सकते हैं कि मनुष्य का विश्वास एवं ईश्वर का प्रेममय सामर्थ्य एक-दूसरे को तब तक खोजते हैं जब तक कि वे नहीं मिल जाते। यह एक दोहरा रास्ता है। इसको हम मार्था और मरियम एवं उनके साथ, हम सभी की गुहार में देख सकते हैं – “यदि आप यहाँ होते ...” ईश्वर का जवाब कोई भाषण नहीं है किन्तु मृत्यु की समस्या पर ईश्वर का जवाब येसु हैं– पुनरूत्थान और जीवन मैं हूँ। विश्वास रखो। आँसू बहाते हुए भी विश्वास बनाये रखो, उस समय भी जब लगे कि अब मृत्यु की जीत हो चुकी है। संत पापा ने कहा, “अपने हृदय से पत्थर हटा लें, ईश्वर के वचन को प्रवेश करने दें, ताकि जहाँ मृत्यु है वहाँ जीवन आ सके।”

ईश्वर ने हमें कब्र के लिए नहीं बनाया
आज भी येसु हमसे कहते हैं, पत्थर हटा दो। ईश्वर ने हमें कब्र के लिए नहीं बनाया। उन्होंने हमें जीवन के लिए बनाया है जो सुन्दर, अच्छा और आनन्दमय है किन्तु मृत्यु का प्रवेश शैतान की ईर्ष्या के कारण हुआ है (प्रज्ञा 2,24) और येसु ख्रीस्त हमें इस जाल से बचाने आये। अतः हमें हर प्रकार के पत्थरों को हटाना है, उदाहरण के लिए, पाखंड के साथ विश्वास को जीना, दूसरों की निंदा करना, अपमान, बदनामी और गरीबों का तिरस्कार करना ये सभी मौत लाते हैं। ईश्वर हमें इन पत्थरों को अपने हृदय से हटाने के लिए प्रेरित करते हैं जिससे कि हमारा जीवन फलता-फूलता रहे। ख्रीस्त जीवित हैं और जो कोई उनका स्वागत करता एवं उनके साथ संयुक्त रहता है वह जीवन में प्रवेश करता है जबकि जो लोग ख्रीस्त के बिना अथवा ख्रीस्त से दूर रहते हैं वे न केवल जीवन में प्रवेश करने से वंचित रहते बल्कि मृत्यु के गर्त में गिर जाते हैं।

लाजरूस का जी उठना पुनरूत्थान का प्रतीक है जो विश्वासियों को बपतिस्मा में प्राप्त होता है। इसके द्वारा वे ख्रीस्त के पास्का रहस्य में प्रवेश करते हैं। पवित्र आत्मा के कार्य एवं शक्ति से ख्रीस्तीय एक नयी सृष्टि के रूप में जीते हैं जो जीवन की सृष्टि बन जाते एवं जीवन की ओर बढ़ते हैं।

धन्य कुँवारी मरियम हमें अपने पुत्र येसु के समान दयालु बनने में सहायता दे जिन्होंने उनके दुःख को अपना बनाया। हम सभी जो कठिनाई में हैं उनके करीब रहें, वे हमारे लिए ईश्वर के प्रेम और उनकी कोमलता के प्रतिबिम्ब बनें, जो हमें मृत्यु से मुक्त करते और जीवन पर विजय दिलाते हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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