माँ मरियम के दुखों की स्मृति!

आज हम माता मरियम के आध्यात्मिक शहादत एवं अपने पुत्र येसु के दुःखों के साथ - अपने जीवन में घटित दुःख - संकट के प्रसंगों की स्मृति करते हैं। माता मरियम शहीदों की रानी हैं क्योंकि उन्होंने एक शहीद की शारीरिक पीड़ा से अत्यधिक आध्यात्मिक पीड़ा की गहराई को अनुभव किया और हम सबके लिए उसे प्रभु को अर्पित किया। माता मरियम के दुःख- प्रसंगों के मुख्य संदर्भ सन्त लूकस एवं योहन रचित सुसमाचार में पाये जाते हैं- (संत लूकस 2:35 ; संत योहन 19 : 26-27) प्रारंभिक कलीसिया के लेखकों ने सिमेयोन के द्वारा जिस तलवार का जिक्र किया था वह माता मरियम के जीवन में आने वाले दुःखों के संदर्भ में था।
सात दुःखों के प्रति भक्ति से तात्पर्य- माता मरियम के मातृ- सुलभ दुःखों को जो उसने येसु के जीवनकाल के दौरान सहे- उससे है। क्या दुःख, तकलीफे हमें निराश कर देती हैं ? पवित्र कूस हमारी तकलीफों और येसु की पीड़ा को आमने सामने प्रस्तुत करता है। अपनी मृत्यु की घड़ी येसु अकेले थे सिवाय अपनी माता एवं अन्य स्त्रियों के। शिष्यगण डर से भाग गये थे। माता मरियम ने कूस के नीचे प्यार की शक्ति से डर और भय, अकेलेपन एवं निराशा पर विजय पायी। (1 योहन 4:18) प्यार हमें शोक एवं मुसीबतों के द्वारा आशा में दृढ़ एवं सशक्त बनाये रखता है।

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