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राख बुधवार(Ash Wednesday)
आज हम राख बुधवार मानते हैं और आज से चालीसा काल की भी शुरूवात होती है| चालीसा शब्द संख्या चालीस से आया है| बाइबल के पुराने व्यवस्थान में हम यह देखते हैं कि ईश्वर ने इस्रायल को चालीस वर्ष तक मरुभूमि में रखा इससे भी पहले नूह के समय में जब ईश्वर ने जलप्रलय भेजा था तो इसकी अवधि भी चालीस दिन-रात की थी| प्रभु येशु ने भी चालीस दिन-रात तक उपवास और परहेज किया | इन उदाहरणों से हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि ईश्वर के द्वारा चालीस दिन/रात/वर्ष की अवधि एक शुद्धिकरण के समय के रूप में प्रायः प्रयुक्त की जाती रही है| इसे किसी बड़े और नए कार्य की शुरुआत के पहले के तैयारी के काल के रूप में भी देखा जा सकता है| इस्राएल के संदर्भ में यह प्रतिज्ञा देश में उनके प्रवेश की तैयारी कही जा सकती है| नूह के संदर्भ में इसे पाप मुक्त नयी सृष्टि की शुरुआत के रूप में देखा जा सकता है| प्रभु येशु के संदर्भ में इसे उनके मिशन [जो कि हमारी मुक्ति से जुड़ा था] की शुरुआत के रूप में देखा जा सकता है| जिस प्रकार हम आगमन काल में हम प्रभु येशु ख्रीस्त के आगमन की तैयारी करते हैं ठीक उसी प्रकार इस चालीसा काल में हम उनके आगमन के असल मकसद की तैयारी करते हैं|हमारे बीच में प्रभु येशु के मनुष्य रूप में आने का असली मकसद हमें पिता के पास ले जाना हमारी मुक्ति और उद्धार यही उनके आने का मकसद था प्रभु येशु ने अपना यह मकसद क्रूस पर अपनी मृत्यु और तीसरे दिन पुनर्जीवित होने के द्वारा पूरा किया|राख बुधवार का दिन हमें जीवन की एक सच्चाई से अवगत कराता है कि हम सब मिट्टी से रचे गए हैं और हमें अंततः इसी में मिलना है| हमारा इंसानी शरीर नश्वर है और यह कमजोर होकर मृत्यु की ओर अग्रसर होता है| हमारा शरीर जो मिट्टी से बना है अंततः इसी में मिल जाता है |
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