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केरल के मंदिर में हादसा
केरल में कोल्लम के पास पुत्तिंगल देवी मंदिर परिसर में हुई त्रासदी को महज हादसा कहकर नहीं टला जा सकता | वहां आग लगने के तुरंत बाद जिला कलेक्टर ए. शाइनामोल ने बताया कि मंदिर आतिशबाजी कि अनुमति नहीं दी गई थी | बल्कि जिला अधिकारीयों ने यह भी कहा कि मंदिर के संचालकों को दुर्घटना कि आशंका से आगाह किया गया था | साफ है, मंदिर प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया |
मगर सिर्फ इतना कहकर जिला प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो जाता. आतिशबाजी कोई ऐसी गतिविधि नहीं है, जिसे चोरी छिपे किया जाता हो | पुत्तिंगल देवी मंदिर परिसर में चैत्र नवरात्र के मौके पर आतिशबाजी कि प्रतिस्पर्धा वर्षों से होती रही है | इससे अगर हादसे का अंदेशा था, तो सरकारी अधिकारीयों ने उसे रुकवाने के लिए सक्रिय हस्तक्षेप क्यों नहीं किया? इस बार आस-पड़ोस के कुछ निवासियों ने जिला प्रशासन के पास इसे रुकवाने कि अर्जी भी डी थी| क्या यह उचित आधार नहीं था | जिसको लेकर पुलिस जरुरी कदम उठाती?
मंदिर परिसर में पटाखों का बड़ा भंडार मौजूद था| क्या पुलिस कि इसकी खबर नहीं थी? जब आतिशबाजी कि इजाजत ही नहीं थी, तो वहां पटाखों कि रखना अपने आप में गैरकानूनी हो जाता है | विडंबना है कि मंदिर परिसर में पुलीस तैनात थी, जो हादसा होने तक वहां इकठ्ठा भारी भीड़ के साथ आतिशबाजी कि दर्शक बनी रही | यानि दुर्घटनास्थल पर न केवल नियमों कि अनदेखी हुई, बल्कि जान-बूझकर उनका उलंघन किया गया |
ऐसा संभवतः इसलिए हुआ, क्योंकि मंदिर के करता-धर्ता यह सोचकर निश्चित होंगे कि धर्म अथवा परंपरा में दखल से बचने के नाम पर सरकारी अधिकारी आँखें मूंदे रहेंगे | बहरहाल, उनका ये नजरिया घातक साबित हुआ | आतिशबाजी कि कुछ चिंगारियां पटाखों के भंडार पर जाकर गिरीं | उससे भीषण धमाके हुए, जिससे मंदिर बोर्ड के कार्यालय कि ईमारत ढह गई | उससे लपटों में फंसने और वहां मची भगदड़ से 100 से ज्यादा लोगों कि जान चली गई | बड़ी संख्या में लोग जख्मी हुए करोड़ों कि संपत्ति का नुकसान हुआ |
अब बड़ा मुद्दा है कि क्या इसके लिए जवाबदेही तय होगी? क्या कानून के हाथ मंदिर के संचालकों आवर जिला प्रशासन के उन अधिकारीयों तक पहुँचेंगे, जिनकी लापरवाही से भयानक अग्निकांड हुआ? या केरल में विधान सभा चुनाव के मौजूदा माहौल के बिच राज्य सर्कार एवं राजनितिक दल धार्मिक भावनाओं का खयाल करते हुए उत्तर्दायित्व के प्रश्न को रफा-दफा कर देंगे ?
एक बड़ा मुद्दा सभी धर्मस्थलों पर सबक लेने का है | धार्मिक समारोहों या तीर्थ के अवसरों पर ऐसी दु:खद घटनाएँ साल में कई बार दोहराई जाने वाली कहानी बन गयी हैं | दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन्हें कुछ दिनों के अन्दर मध्य प्रदेश सरकार तैयारियों में जुटी है, उसे जरुर सिख लेनी चाहिए | सबक यह है कि सुरक्षा नियमों का हर हाल में सख्ती से पालन हो | बाद में छाती पीटने से बेहतर है एतियाती सावधानी बरतना |
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