दो दिनों तक क्रूस पर प्राण-संकट सहने के पश्चात् उनकी पावन आत्मा अपने सृष्टिकर्ता ईश्वर के साथ सदा सुखी रहने के लिए उनके साथ परम धाम में बुला ली गयी। इस प्रकार उन्होंने ख्रीस्तीय जीवन में क्रूस के महत्त्व को सिद्ध कर दिया कि क्रूस मुक्तिदाता के अनुरूप बनने का सर्वश्रेष्ठ साधन है।
सन्त अन्द्रेयस के जीवन से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हम भी उनकी तरह तत्परता से प्रभु का अनुसरण करें और जिन लोगों से हम मिलते हैं उनसे उत्साहपूर्वक येसु के विषय में बोले।
माना जाता है कि प्रेरित अन्द्रेयस ने रूस तथा स्कॉटलैंड में भी सुसमाचार का प्रचार किया। इसलिए वे रूस तथा स्कॉटलैण्ड के संरक्षक सन्त माने जाते है।
माता कलीसिया 30 नवम्बर को प्रेरित सन्त अन्द्रेयस का पर्व मनाती है।

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