Radio Veritas Asia Buick St., Fairview Park, Queszon City, Metro Manila. 1106 Philippines | + 632 9390011-15 | +6329390011-15
आगमन का तीसरा रविवार (प्रवचन)
आगमन का तीसरा रविवार
वर्ष- 'अ' 15 दिसम्बर 2K19
पहला पाठ: इसायाह 35:1-6,10; दूसरा पाठ: याकूब 5:7-10; सुसमाचार: सन्त मत्ती 11:2-11
ट्रेन का इंतज़ार करते वक्त सुनिश्चित करने के लिए हम होने वाली अनाउंसमेंट को ध्यान पूर्वक सुनते है। साथ ही हम इन्क्वारी ऑफिस में जाकर भी ट्रेन के बारे में पूछताछ कर सुनिश्चित करते है कि ट्रेन किस प्लेटफार्म पर और कब आएगी और कब जायेगी। जब हमें सम्पूर्ण जानकारी मिल जाती है तो हम निश्चिन्त हो जाते है, और आनन्दपूर्वक ट्रेन की प्रतीक्षा में लग जाते है।
आज जब हम आगमन काल के तीसरे रविवार में प्रवेश कर चुके है, साथ ही हम स्वयं को ईश्वर के जन्मोत्सव मनाने के लिए तैयार कर रहे है तो इस समय का पूरा उपयोग कर हम ईश्वर को ग्रहण करने के लिए हम स्वयं को सही रूप से तैयार करें।
आज के तीनों पाठ हमें प्रतीक्षा के विषय में बतलाते है, कि हमें धैर्य के साथ ईश्वर की प्रतीक्षा करनी चाहिए। आज के पहले पाठ में नबी इसायाह कहते है कि ईश्वर हमारे दुःखों को हर कर, हमें अनन्त आनन्द प्रदान करेगा। वह हमें एक प्रकार की आशा प्रदान करता है कि - "देखो, तुम्हारा ईश्वर आ रहा है। . . . वह स्वयं तुम्हें बचाने आ रहा है।’’
आज का सुसमाचार में संत योहन बपतिस्ता अपने शिष्यों को येसु के पास पूछने भेजते है कि "क्या आप वही हैं, जो आने वाले हैं या हम किसी और की प्रतीक्षा करें?" योहन बपतिस्ता का काम था कि मसीह के लिये रास्ता तैयार करें। और जब वे बंदीगृह में थे तब उनके शिष्यों को बतलाने के लिए येसु ही वह ईश्वर के पुत्र है, जिसकी हम प्रतीक्षा कर रहे है उन्हें वह येसु के पास पूछने के लिए भेजते है। परन्तु हम देखते है कि येसु उन्हें सीधे-सीधे इसका जवाब नहीं देते है। वे उनसे कहते है- "जाओ, तुम जो सुनते और देखते हो, उसे योहन को बता दो - अंधे देखते हैं, लँगड़े चलते हैं, कोढ़ी शुद्ध किये जाते हैं, बहरे सुनते हैं, मुरदे जिलाये जाते हैं, दरिद्रों को सुसमाचार सुनाया जाता है।"
येसु का योहन के शिष्यों को सीधे-सीधे जवाब ना देना, योहन के शिष्यों के साथ-साथ हमें भी भ्रम में डाल देता है। परन्तु नबी इसायाह के ग्रन्थ 61:01-02 में मसीह के कार्यों के बारे में भविष्यवाणी की गयी है, जिसमे लिखा है- "प्रभु का आत्मा मुझ पर छाया रहता है, क्योंकि उसने मेरा अभिषेक किया है। उसने मुझे भेजा है कि मैं दरिद्रों को सुसमाचार सुनाऊँ, दुःखियों को ढारस बँधाऊँ; बन्दियों को छुटकारे का और कैदियों को मुक्ति का सन्देश सुनाऊँ; प्रभु के अनुग्रह का वर्ष और ईश्वर के प्रतिशोध का दिन घोषित करूँ; विलाप करने वालों को सान्त्वना दूँ।"
जिस प्रकार संत योहन बपतिस्ता ईश्वर का मार्ग तैयार करने के लिए ईश्वर से पहले आये थे। उसी प्रकार हम भी ख्रीस्त जयन्ती के पूर्व ईश्वर के आने के लिए मार्ग तैयार करे। या यूँ कहे कि अपने हृदय को ईश्वर के लिए तैयार करें।
आगमनकाल में कलीसिया हमें प्रभु की निकटता का एहसास कराती है। आज जब हम ख्रीस्त जयंती के इतने निकट आ गए है तो हम ईश्वर के दर्शन के लिए स्वयं को तैयार करें। जिससे हम मुक्ति प्राप्त कर अपने जीवन को परिपूर्णता तक ले जाए। आमेन!
Add new comment