नाईन का युवक

संत लुकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार
7:11-17

इसके बाद ईसा नाईन नगर गये। उनके साथ उनके शिष्य और एक विशाल जनसमूह भी चल रहा था। जब वे नगर के फाटक के निकट पहुँचे, तो लोग एक मुर्दे को बाहर ले जा रहे थे। वह अपनी माँ का इकलौता बेटा था और वह विधवा थी। नगर के बहुत-से लोग उसके साथ थे। माँ को देख कर प्रभु को उस पर तरस हो आया और उन्होंने उस से कहा, "मत रोओ", और पास आ कर उन्होंने अरथी का स्पर्श किया। इस पर ढोने वाले रूक गये। ईसा ने कहा, "युवक! मैं तुम से कहता हूँ, उठो"। मुर्दा उठ बैठा और बोलने लगा। ईसा ने उसको उसकी माँ को सौंप दिया। सब लोग विस्मित हो गये और यह कहते हुए ईश्वर की महिमा करते रहे, "हमारे बीच महान् नबी उत्पन्न हुए हैं और ईश्वर ने अपनी प्रजा की सुध ली है"। ईसा के विषय में यह बात सारी यहूदिया और आसपास के समस्त प्रदेश में फैल गयी।

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