कफ़रनाहूम का शतपति

संत लुकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार
7:1-10

जनता को अपने ये उपदेश सुनाने के बाद ईसा कफ़रनाहूम आये। वहाँ एक शतपति का अत्यन्त प्रिय नौकर किसी रोग से मर रहा था। शतपति ने ईसा की चर्चा सुनी थी; इसलिए उसने यहूदियों के कुछ प्रतिष्ठित नागरिकों को ईसा के पास यह निवेदन करने के लिए भेजा कि आप आ कर मेरे नौकर को बचायें। वे ईसा के पास आ कर आग्रह के साथ यह कहते हुए उन से विनय करते रहे, "वह शतपति इस योग्य है कि आप उसके लिए ऐसा करें। वह हमारे राष्ट्र से प्रेम करता है और उसी ने हमारे लिए सभागृह बनवाया।" ईसा उनके साथ चले। वे उसके घर के निकट पहुँचे ही थे कि शतपति ने मित्रों द्वारा ईसा के पास यह कहला भेजा, "प्रभु! आप कष्ट न करें, क्योंकि मैं इस योग्य नहीं हूँ कि आप मेरे यहाँ आयें। इसलिए मैने अपने को इस योग्य नहीं समझा कि आपके पास आऊँ। आप एक ही शब्द कह दीजिए और मेरा नौकर चंगा हो जायेगा। मैं एक छोटा-सा अधिकारी हूँ। मेरे अधीन सिपाही रहते हैं। जब मैं एक से कहता हूँ - ’जाओ’, तो वह जाता है और दूसरे से- ’आओ’, तो वह आता है और अपने नौकर से-’यह करो’, तो वह यह करता है।" ईसा यह सुन कर चकित हो गये और उन्होंने पीछे आते हुए लोगों की ओर मुड़ कर कहा, "मै तुम लोगों से कहता हूँ - इस्राएल में भी मैंने इतना दृढ़ विश्वास नहीं पाया"। और भेजे हुए लोगों ने घर लौट कर रोगी नौकर को भला-चंगा पाया।

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