
योहन बर्कमन्स का जन्म बेल्जियम के डिस्ट नगर में 13 मार्च 1599 को हुआ। वे अपने परिवार में पांच बच्चो में सबसे बड़े थे। वह केवल 22 वर्ष के थे जब उनकी अचानक बुखार से मृत्यु हो गई। जब वे 7 साल की उम्र के थे तभी से प्रतिदिन सुबह 5 बजे उठते थे और प्रतिदिन पवित्र मिस्सा बलिदान में भाग लेते थे। तथा बड़ी ख़ुशी से वेदी सेवक का कार्य करते थे। उनके इस कार्य से उनके पल्ली पुरोहित अत्यंत प्रभावित हुए। 9 साल की उम्र में, वह अपनी माँ के साथ हर दिन घंटों बिताते थे, जो एक लंबी बीमारी से पीड़ित थी। बचपन से ही उनकी यह इच्छा थी कि वे एक पुरोहित बनकर प्रभु की सेवा करें। संत योहन बर्कमन्स कि माँ मरियम में बड़ी भक्ति थी। माँ मरियम की भक्ति में वे प्रतिदिन बड़ी सरगर्मी से रोजरी जपते और अन्य भक्ति कार्य भी किया करते थे। मेलाइन्स के कॉलेज में दो वर्ष तक साहित्य-शास्त्र का अध्ययन बड़ी सफलता से पूर्ण करने के पश्चात उन्होंने प्रभु का आह्वान पहचान कर सत्रह वर्ष की अवस्था में येसु समाज में प्रवेश लिया। वहाँ नवशिष्यालय में संस्था के नियमों के पालन, आध्यात्मिक अनुष्ठानों तथा आपसी प्रेम का वे सजीव नमूना थे। वे दो वर्षो के पश्चात उन्होंने येसु समाज में धार्मिक व्रत धारण किया।
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