
संत मैक्सिमिलियन कोल्बे का जन्म पोलेंड की राजधानी वरसो के निकट डुस्कावेला नामक स्थान में 8 जनवरी 1894 में हुआ। बपतिस्मा में उनको रेमंड नाम दिया गया। उनके माता-पिता निर्धन थे किन्तु वे बहुत ही भक्त काथलिक थे और जीवन की हर कठिनाई में ईश्वर पर पूर्ण श्रद्धा रखने वाले थे। उनकी भली माँ ने रेमंड के हृदय में ये सब उत्तम गुण भर दिए थे। साथ ही उसने माता मरियम के प्रति बच्चों जैसी भक्ति भी उसे भली प्रकार सिखा दी थी। अपने माता-पिता के त्यागपूर्ण जीवन से प्रेरणा पाकर रेमंड सोलह वर्ष की अवस्था में संत फ्रांसिस के धर्मसंघ में भर्ती हुए ताकि ईश्वर के महान प्रेम का अनुभव सभी लोगों को कराने के लिए कार्य कर सकें। धार्मिक जीवन में उन्होंने मैक्सिमिलियन नाम लिया। प्रारम्भ में उन्होंने मठ में ही रहकर अध्ययन किया। उसके बाद वे रोम गए और वहाँ उन्होंने दर्शनशास्त्र एवं ईशशास्त्र का गहरा अध्ययन किया। तब वहीं सन 1918 में उनका पुरोहिताभिषेक हुआ। उनके हृदय में माता मरियम के प्रति पुत्र तुल्य प्रेम उमड़ रहा था। अतः उन्होंने इस स्वर्गीय माँ की भक्ति विश्वासियों के बीच फ़ैलाने के लिए "निष्कलंका की सेना" नाम से एक मरियम संगत की स्थापना की।
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