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विवाह का बन्घन | कुँवारापन
संत मत्ती का पवित्र सुसमाचार
19:03-12
अपना यह उपदेश समाप्त कर ईसा गलीलिया से चले गये और यर्दन के पार यहूदिया प्रदेश पहुँचे। एक विशाल जनसमूह उनके पीछे हो लिया और ईसा ने वहाँ लोगों को चंगा किया। फ़रीसी ईसा के पास आये और उनकी परीक्षा लेते हुए यह प्रश्न किया, "क्या किसी भी कारण से अपनी पत्नी का परित्याग करना उचित है? ईसा ने उत्तर दिया, "क्या तुम लोगों ने यह नहीं पढ़ा कि सृष्टिकर्ता ने प्रारंभ से ही उन्हें नर-नारी बनाया। और कहा कि इस कारण पुरुष अपने माता-पिता को छोडे़गा और अपनी पत्नी के साथ रहेगा, और वे दोनों एक शरीर हो जायेंगे? इस तरह अब वे दो नहीं, बल्कि एक शरीर है। इसलिए जिसे ईश्वर ने जोड़ा है, उसे मनुष्य अलग नहीं करे।" उन्होंने ईसा से कहा, "तब मूसा ने पत्नी का परित्याग करते समय त्यागपत्र देने का आदेश क्यों दिया? ईसा ने उत्तर दिया, "मूसा ने तुम्हारे हृदय की कठोरता के कारण ही तुम्हें पत्नी का परित्याग करने की अनुमति दी, किन्तु प्रारम्भ से ऐसा नहीं था। मैं तुम लोगों से कहता हूँ कि व्यभिचार के सिवा किसी अन्य कारण से जो अपनी पत्नी का परित्याग करता और किसी दूसरी स्त्री से विवाह करता है, वह भी व्यभिचार करता है।" शिष्यों ने ईसा से कहा, "यदि पति और पत्नी का सम्बन्ध ऐसा है, तो विवाह नहीं करना अच्छा ही है"। ईसा ने उन से कहा "सब यह बात नहीं समझते, केवल वे ही समझते हैं जिन्हें यह वरदान मिला है; क्योंकि कुछ लोग माता के गर्भ से नपुंसक उत्पन्न हुए हैं, कुछ लोगों को मनुष्यों ने नपुंसक बना दिया है और कुछ लोगों ने स्वर्गराज्य के निमित्त अपने को नपुंसक बना लिया है। जो समझ सकता है, वह समझ ले।"
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