श्रमिक दिवस, बेहतर अर्थव्यवस्था का सपना। 

अमरीका के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने श्रमिक दिवस के उपलक्ष्य में एक चिंतन प्रस्तुत किया है जिसकी विषयवस्तु है "एक बेहतर अर्थव्यवस्था का सपना।" अमरीका में श्रमिक दिवस 6 सितम्बर को मनाया जाएगा। अमरीका के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के आंतरिक न्याय एवं मानव विकास विभाग के अध्यक्ष मोनसिन्योर पौल कोकले ने संदेश पर हस्ताक्षर किया है।
धर्माध्यक्ष ने कोविड-19 महामारी से उत्पन्न कठिन परिस्थितियों को देखते हुए श्रमिकों को धन्यवाद दिया है कि उन्होंने इस कठिन समय में देश को इसके पैरों पर रखा। धर्माध्यक्ष ने सहानुभूति के साथ उन लोगों की भी याद की है जिन्होंने स्वास्थ्य आपातकाल में अपने आय के स्रोत को खो दिया है।
धर्माध्यक्ष ने इस बात पर भी गौर किया है कि कोविड-19 महामारी ने न केवल स्वास्थ्य संकट उत्पन्न किया है बल्कि कई लोगों को शोषण का शिकार बनाया है। इस समय में मानव तस्करी के शिकार लोगों के द्वारा मदद की मांग करनेवालों की संख्या 40 प्रतिशत बढ़ गई है।
अमरीका में कोविड-19 के कारण करीब 6 लाख लोगों की मौत हो गई। स्वास्थ्य आपातकाल ने 43,000 बच्चों को बिना माता-पिता के छोड़ दिया और कई परिवारों ने कमानेवाले को खो दिया, वे आर्थिक रूप से अधिक कमजोर हो गए हैं, "संयुक्त राज्य में अनुमानित 42 मिलियन लोग इस वर्ष खाद्य असुरक्षा का अनुभव कर रहे हैं, जिसमें 13 मिलियन बच्चे शामिल हैं।"
धर्माध्यक्ष ने कहा कि समाज के बेहतरी के लिए प्रयास करने में कलीसिया पीछे नहीं है। उन्होंने इस संकट के दौरान काथलिक पल्लियों के कार्य एवं प्रेरिताई की याद की जिन्होंने संत पापा की दूरदर्शिता को लोगों के बीच लाया एवं जहाँ कलीसिया है वहाँ उदासीनता के समुद्र में, करूणा का द्वीप बनाया।   
उदाहरण के लिए, महामारी के पहले 6 महीनों में काथलिक एजेंसियों ने आपातकालीन मदद के रूप में 400 मिलियन डॉलर का वितरण किया था, साथ ही, भोजन, व्यक्तिगत सुरक्षा सामग्री, बच्चों के आवश्यक समान एवं बेघर लोगों के लिए क्वारेनटाईन की सुविधा प्रदान की थी। स्थानीय कलीसियाओं ने स्वास्थ्य आपातकाल के दौरान लोगों की मदद हेतु कई प्रयास जारी किये।
इसके अलावा, धर्माध्यक्षों ने पोषण कार्यक्रमों के तहत, आय और रोजगार सहायता तथा कैदियों के लिए सुरक्षा उपायों एवं स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच प्रदान करने की कोशिश की थी।
रविवार के पाठ पर चिंतन करते हुए महाधर्माध्यक्ष कोकले ने कहा कि संत याकूब हमें बतलाते हैं कि जब हम गरीबों से दूर रहते हैं तब हम उनके न्यायकर्ता बन जाते हैं (याकूब 2,1-5) इसी संदर्भ में, संत पापा फ्राँसिस ने कहा है कि, "हम कभी-कभी गरीबों के प्रति अपनी उदासीनता के कारण दूसरी तरफ देख लेते हैं और अपना जीवन ऐसे जीते हैं जैसे कि उनका कोई अस्तित्व ही नहीं है।"
अंत में, उन्होंने सभी से "अधिकारियों के साथ बातचीत कर एक बेहतर राजनीति" के निर्माण में संलग्न होने का आग्रह किया, उनसे एक सच्ची राजनीति का आह्वान किया है जो मानव व्यक्ति की प्रतिष्ठा पर आधारित हो और जो सार्वजनिक भलाई को बढ़ावा देती हो।

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