म्यांमार के लोगों की मदद एवं शरणार्थियों के लिए हृदय खोलने हेतु पोप की अपील। 

संत पिता फ्रांसिस ने म्यांमार के धर्माध्यक्षों के साथ हजारों विस्थापितों एवं भूखे लोगों की मदद की अपील की। साथ ही उन्होंने शरणार्थियों के लिए हृदय द्वार खोलने का आह्वान किया।
देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पिता फ्रांसिस ने म्यामार की याद करते हुए कहा, “मैं म्यांमार के धर्माध्यक्षों के साथ अपनी आवाज एक करता हूँ जिन्होंने पिछला सप्ताह एक अपील करते हुए विश्व का ध्यान एक हृदय विदारक अनुभव की ओर खींचा, जिसमें हजारों लोग विस्थापित हैं एवं भूख से मर रहे हैं।" उन्होंने कहा, "हम आग्रह करते हैं कि सभी मानवीय गलियारों और गिरजाघरों, शिवालयों, मठों, मस्जिदों, मंदिरों के साथ-साथ स्कूलों और अस्पतालों को दयालुता के साथ आश्रय स्थलों के रूप में अनुमति दी जाए ताकि ख्रीस्त का हृदय, म्यांमार में शांति लाते हुए सभी के हृदय में शांति ला सके।"
संत पिता फ्रांसिस ने शरणार्थी दिवस की याद करते हुए कहा, "आज शरणार्थियों के लिए विश्व दिवस मनाया जाता है जिसको संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रोत्साहन दिया गया है।" इसकी विषयवस्तु है, "एक साथ हम परिवर्तन ला सकते हैं।" हम शरणार्थियों के लिए अपना हृदय खोलें। हम उनके दुःख और आनन्द को अपना बनायें। उनके साहस से सीख लें इस प्रकार हम एक साथ अधिक मानवीय समुदाय, एक वृहद परिवार में बढ़ेंगे।
उसके बाद संत पिता फ्रांसिस ने रोम, इटली और अन्य देशों के सभी तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया। उन्होंने कहा, "विशेषकर में इटली के काथलिक गाईड और स्काऊट संघ का अभिवादन करता हूँ। साथ ही इताली स्कूलों में माँ शिक्षिकाओं की प्रतिनिधियाँ, धन्य डॉन लुईजी द्वारा स्थापित, पालेरमो में पाद्रे नोस्त्रो केंद्र के युवा, त्रेमिनोन एवं भाकारिनो के युवा,  निशेमी, बारी, अन्सियो और भिल्ला के विश्वासी का अभिवादन करता हूँ।"

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