100 दिनों के बाद भी कृषि कानूनों पर कोई नतीजा नहीं निकला

गाजीपुर बॉर्डर के किसान आंदोलन स्थल पर अब काफी कम भीड़ है। ज्यादातर पंडाल खाली पड़े हुए हैं। कहीं पंडालों में कुछ लोग बैठे हैं। इनमें भी ज्यादातर बुजुर्ग हैं। युवा चेहरे अब यहां नहीं दिखते। हालांकि, गाजीपुर के किसानों का धरनास्थल पहले से ज्यादा व्यवस्थित नजर आता है। 100 दिनों के बाद किसान आंदोलन का नजारा कुछ ऐसा है।गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर इस दौरान 248 से ज्यादा किसानों की आंदोलन के दौरान मौत हो चुकी हैं। सरकार-किसानों से 11 बार बातचीत हो चुकी है, लेकिन फिर भी कृषि कानूनों पर कोई नतीजा नहीं निकला। 26 जनवरी को किसान ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद फिलहाल बातचीत का कोई नया रास्ता खुलता नहीं दिख रहा है।

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