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ईश्वर की लीला | उपदेश
ईश्वर की लीला अपूर्व होती है। उसकी योजना कब, कहाँ और किसके द्वारा पूर्ण होगी यह कोई नहीं बता सकता है। पहले पाठ में हमने सुना कि किस प्रकार एक दासी के द्वारा इस्राएल के एक नबी के बारे में परिचय दिया जाता है। वह कहती है, 'ओह ! यदि मेरे स्वामी समारिया में रहने वाले नबी से मिलने जाते, तो वह उन्हें कोढ़ से मुक्त कर देते।' नबी एलीशा ने खुद साक्ष्य देते हुए कहा, 'वह मेरे पास आये, तो वह जान जायेगा कि इस्राएल में एक नबी विद्यमान है।' नबी एलीशा ने नामान से मिले बगैर संदेश कहला भेजा, 'आप जा कर यर्दन नदी में सात बार स्नान कीजिए। आपका शरीर स्वच्छ जो जायेगा और आप शुद्ध हो जायेंगे।' नामान को इस संदेश को ले कर थोड़ी परेशानी जरूर हुई पर अंत में उसने जा कर यर्दन नदी में सात बार डुबकी लगाई और उसका शरीर फिर छोटे बालक के शरीर जैसा स्वच्छ हो गया।
इस्राएल में बहुत सी विधवाएँ थी लेकिन सिदोन प्रांत के सरेप्ता की एक विधवा के पास ही नबी एलियस को भेजा गया। उस समय वहाँ साढ़े तीन वर्षों तक भारी अकाल पड़ा था। और ईश्वर ने उनकी सुध ली। इसी प्रकार इस्राएल में बहुत से कोढ़ी थे। फिर भी उन में कोई नहीं, बल्कि सीरी नामन ही नीरोग किया गया। इन दोनों पाठों में एक दासी के द्वारा, नबियों के द्वारा, नामान कोढ़ी के द्वारा और एक विधवा के द्वारा ईश्वर की महिमा प्रकट हुई। इस प्रकार ईश्वर अपने काम को उचित समय में पूरा करते हैं। हमारा ईश्वर सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी और सर्वज्ञानी है। वह दया और अनुकम्पा से परिपूर्ण है। हमारा ईश्वर प्रेम है।
जब हम अपने विश्वास में कमजोर हो जाते हैं तब हमें अपने सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी और सर्वज्ञानी ईश्वर की याद करनी चाहिए। वह द्रवित होकर हमारी अवश्यकताओं की पूर्ति जरूर करेंगे और अपनी महिमा से हम सबों को भी महिमान्वित कर देंगे।
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