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मन परिवर्तन
Tuesday, October 13, 2020
प्रभु येसु प्रेम व व्याकुलता से, गुस्से से नहीं, फरीसियों व शास्त्रियों को धिक्कार कहते हैं, ताकि उनके जीवन में मन परिवर्तन हो। क्योंकि वे छोटे- छोटे नियमों का पालन करते और करवाते, पर महत्त्वपूर्ण बातों की उपेक्षा करते, जैसे मानव के प्रति न्याय व ईश्वर और मानव के प्रति प्रेम। इसलिए संत पौलुस आज के पहले पाठ में कहते हैं कि हमारा जीवन आत्मा से संचारित हो या आत्मा के अनुरूप जीवन बितायें। तब हम आत्मा के फल उत्पन्न करेंगे जैसे प्रेम, आनन्द, शान्ति, सहनशीलता, मिलनसारी, दयालुता, ईमानदारी, सौम्यता और संयम। नबी मीका कहते हैं कि ईश्वर मानव से चाहता है : न्यायपूर्ण व्यवहार, कोमल भक्ति और ईश्वर के सामने विनयपूर्ण आचरण (6 : 8 )। हमारा जीवन आत्मा से संचारित हो। ईश्वर चाहता है: बली के पहले न्याय, दशमांश के पहले उनके प्रति प्रेम और मानव के प्रति विनम्रता।
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