साम्प्रदायिक सौहार्द

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हमारा भारत देश धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। हमारे देश में विभिन्न प्रकार के धर्म, जाति, भाषा, रंग-रूप के लोग आपस में मिलजुलकर रहते है। इसलिए भारत को विभिन्नताओं वाला देश कहा जाता है। "अनेकता में एकता, भारत की विशेषता!" यहाँ पर अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोग अपनी परंपरा, वेशभूषा एवं मान्यताओं के आधार पर खुद को अलग मानते है मगर एक चीज़ है जो सभी को एक-दूसरे से जोड़े रखती है मानवता। क्योंकि विभिन्नताएँ चाहे कितनी भी क्यों ना हो मगर इंसान तो एक ही है ना।

धर्म, जाति, संस्कृति, रीति-रिवाज, रंग-रूप एवं मान्यताओं के आधार सब एक दूसरे से भिन्न है मगर साम्प्रदायिक सौहार्द है जो पूरे देश को एक सूत्र में बांधता है। यहाँ के लोग अलग अलग धर्म, जाति को अधिक महत्व ना देकर भारतीय कहलाना अधिक पसंद करते है। और यही हमारी एकता की सबसे बड़ी निशानी और हमारी सबसे बड़ी ताकत भी है। सभी धर्मों के लोग यहाँ मिलजुलकर एकता में रहते है तथा सभी धर्मों के पर्वों को एक साथ मिलकर खुशी से मनाते है। संकट के समय में लोग अपनी धर्म, जाति, समुदाय भुलाकर एक दूसरे की मदद करते हैं। क्रिकेट मैच में लोग सबकुछ भुलाकर भारतीय कहलाना अधिक पसंद करते है। एवं एकसाथ मिलकर जश्न मनाते है।

देश में साम्प्रदायिक सौहार्द के बार बाधित हुआ है मगर फिर भी लोग पुरानी बातों को भुलाकर एक साथ मिलजुलकर रह रहे है। एवं एक-दूसरे के प्रति अपनी अपनी जिम्मेदारी भी निभा रहे है।
लॉकडाउन के समय में भी साम्प्रदायिक सौहार्द की के मिसालें देखने को मिली है। जहाँ लोगों ने धर्म, जाति, समाज, समुदाय से ऊपर उठकर लोगों की बिना किसी स्वार्थ की मदद की है। मुम्बई में साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल देखने को मिली है जहाँ एक बहत्तर वर्ष के हिन्दू वृद्ध की मृत्यु होने पर जब लॉकडाउन के चलते उनके रिश्तेदार नही आ पाये तो उसके अंतिम संस्कार की विधि में मुस्लिम समुदाय के लोग सम्मिलित हुए। एवं उन्होंने उसके अंतिम संस्कार को पूरा किया।

एक अन्य खबर में एक मुस्लिम ने हनुमान मंदिर बनाने के लिए अपनी जमीन दे दी। लॉकडाउन में गरीबों की मदद के लिए कई लोगों ने अन्य लोगों की मदद की। पैदल घर जाते मजदूरों की मदद उन्होंने बिना उनकी धर्म, जाति पूछे बिना की। ऐसी कई खबरे है जब लोगों ने धर्म, जाति, समाज, समुदाय के बंधनों को तोड़कर साम्प्रदायिक सौहार्द की अनेकों मिसालें कायम की।

हम सब भारतवासी है। इसलिए हम सभी को धर्म, जाति, समाज, समुदाय, रंग-रूप, रीति-रिवाजों से ऊपर उठकर एकता की मिसाल कायम करना चाहिए। सर्वप्रथम हम भारतीय है इस बात को जेहन में रखकर अन्य लोगों के साथ व्यवहार करना चाहिए। क्योंकि देश प्रगति एवं उन्नति हमारे ही हाथों में है। और ऐसे समय में जब देश कोरोना संकट के दौर से गुजर रहा है तो हमें देश में साम्प्रदायिक सौहार्द बनाये रखने की अति आवश्यकता है। कोरोना संकट हमारे लिए एक अवसर है जब हम अन्य लोगों के साथ अपने रिश्ते को और मधुर करके उसे और मजबूती प्रदान कर सकते है।

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