दयालु बनो

दयालुता मानव का सबसे बड़ा धर्म है। दया का स्थान सभी धर्मों से ऊपर है। अगर हम सभी धर्मों का मर्म निकाले तो हम पाएंगे की सभी धर्म हमको प्रेम और दया ही सिखाते है। दया सभी मानवीय गुणों में सबसे सर्वोत्तम गुण है। दया का जन्म प्रेम से होता है। अगर हमारे हृदय में प्रेम है तो दयाभाव आना स्वाभाविक है। बाइबिल कहती है कि- "अपने स्वर्गिक पिता जैसे दयालु बनो।" दया करो और तुम पर भी दया की जायेगी।

हम ईश्वर से जिस रहम की उम्मीद करते है वैसा ही हमें दूसरों से करना चाहिए। कोलकाता की मदर टेरेसा दया का एक बेहतरीन नमूना है। जिसने अपने कार्यों के द्वारा, अपने जीवन के द्वारा लोगों पर दया की एवं उनकी हर संभव मदद की। आज के इस दौर में दया और सहानुभूति की दरकार है। लोगों के हृदय में दया के भाव को जाग्रत करने की अति आवश्यकता है। आधुनिक युग में लोग अपने स्वार्थ में इतने तल्लीन होते जा रहे है कि लोगों में दया के भाव की कमी देखने को  मिल रही है। मानव के प्रति दयालु होना अति आवश्यक है। दया के द्वारा ही हम दुनिया को एक सूत्र में बांध सकते है। 

दलाई लामा ने दया के विषय में कहा है कि - "मेरा धर्म बहुत सरल है। मेरा धर्म दया है।" उन्होंने कही कि दयालुता दुनिया का सबसे बड़ा धर्म है। और हमें हमेशा उसका उपासक होना चाहिए। वसुधैव कुटुम्बकम् विचारधारा को फ़ैलाने के लिए लोगों में दयाभाव होना अति आवश्यक है तभी धरती एक परिवार बन पाएगी। इसके लिए सभी लोगों को मिलकर काम करना होगा। 
 

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