सन्त धर्माध्यक्ष तुरंत उसी रात को उन बच्चों के साथ नगर को लौट आये। बच्चों की माताएँ बड़ी बेचैनी से अपने बच्चों को ढूंढते हुए रो रही थी। अपने प्यारे नन्हें-मुन्नों को पाकर वे हर्ष-विभोर हो उठी। बच्चों के मुख से यह दर्दनाक घटना जानकार वे आश्चर्य-स्तब्ध हो गयी और अपने प्यारे धर्माध्यक्ष को लाखों धन्यवाद दिया। यह शीघ्र दावानल जैसे सभी लोगों तक पहुँच गयी। इसी कारन सन्त निकोलस बच्चों के प्रिय मित्र माने जाते है और धीरे-धीरे वे "सांताक्लॉज" नाम से विश्व प्रसिद्द हो गए।
सन्त के देहान्त के पश्चात् मीर्रा के लोगों ने अपने प्यारे धर्माध्यक्ष की स्मृति को सजीव रखने के लिए उनके पर्व की पूर्व रात्रि को बच्चों के लिए उनके प्रिय उपहार चुपके से ला देने की प्रथा प्रारम्भ की; और प्रातः काल उन उपहारों को पाकर बच्चे समझते थे कि उनके प्यारे सांता क्लॉज ने ही उन्हें ये उपहार भेजे हैं। धीरे-धीरे उपहारों की यह प्रथा क्रिसमस की पूर्व रात्रि के लिए निर्धारित की गयी। जिससे यह माना जाता है कि क्रिसमस की पूर्व रात्रि को सांता क्लॉज अपने प्यारे बच्चों से मिलने आते है; और उनके लिए उपहार क्रिसमस ट्री पर टाँग देते हैं। इसलिए हर घर में क्रिसमस ट्री सजाई जाती है। सन्त धर्माध्यक्ष निकोलस आज भी सम्पूर्ण ख्रीस्तीय जगत में बच्चों के अति प्यारे है। माता कलीसिया 06 दिसम्बर को संत निकोलस का पर्व मनाती है।
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