जेन ने सन्त फ्रांसिस के सहयोग के फ़्रांस के अन्नेसी नगर में सन 1610 में पवित्रतम त्रित्व के पर्व के दिन 'विसिटेशन' नामक संस्था की नींव डाली जिसकी सदस्याएं गरीबों, अनाथों व परित्यक्तों की सेवा के लिए समर्पित है। नगर की अनेक भक्ति युवतियां तथा विधवाएं इस संस्था में भर्ती होकर दीन-दुःखियों की सहायता के लिए आगे आयी। यह संस्था ईश्वर की इच्छानुसार शीघ्र फलती-फूलती गयी और जेन ने अपनी संस्था के विकास को देखा और ईश्वर को निरंतर धन्यवाद देते हुए अंत तक दीन-हीनों की सेवा में तल्लीन रही। अंत में 12 दिसंबर 1641 को 69 वर्ष की आयु में उनका देहान्त हुआ।
सन 1767 में सन्त पिता क्लेमेंट 23वें ने दीन-दुःखियों की माँ, जेन को सन्त घोषित किया। सन्त जेन फ्रांसेस डी शन्ताल निरन्तर कहा करती थी "हम अपने सारे दिल से ईश्वर को प्यार करें और ईश्वर के प्यार से अपने पड़ोसियों को भी अपने समान प्यार करें।"
माता कलीसिया सन्त जेन फ्रांसेस डी शन्ताल का पर्व 12 दिसम्बर को मनाती है।

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