संत पापा ने शांति के लिए की अपील!

रोम में संत पापा फ्राँसिस और विश्व के सभी धर्मों के नेताओं ने शांति के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रार्थना सभा में "कोई भी अकेला बच नहीं सकता - शांति और बंधुत्व" पर हस्ताक्षर करके शांति की अपील की। 

"असीसी की भावना" में रोम में एकत्रित, आध्यात्मिक रूप से दुनिया भर के विश्वासियों और सभी पुरुषों एवं महिलाओं के साथ मिलकर, हमने एक दूसरे के लिए प्रार्थना की है कि हम दुनिया को शांति का उपहार दे सकें। हमने मानवता के घावों को ध्यान में रखने का आह्वान किया है, हम अपने कई पीड़ित भाइयों और बहनों की मूक प्रार्थनाओं के साथ एकजुट हैं, अक्सर वे बेनाम होते हैं और उनकी बातें अनसुनी कर दी जाती है। अब हम पूरी तरह से अपने आप को और देशों एवं दुनिया के नागरिकों को इस शांति के लिए अपील का प्रस्ताव करने हेतु प्रतिबद्ध हैं।

इस कम्पिदोलियो पहाड़ी पर, इतिहास में सबसे बड़े संघर्ष के मद्देनजर, युद्ध में रहे राष्ट्रों ने एकता के एक सपने के आधार पर एक समझौता किया जो बाद में सच हुआ: एकजुट यूरोप का सपना। आज, इन अनिश्चिताओं में, जैसा कि हम कोविद -19 महामारी के प्रभावों को महसूस करते हैं, जो असमानताओं और भय को बढ़ाकर शांति को खतरे में डालती हैं, हम दृढ़ता से कहते हैं कि कोई भी अकेले अपने आप को बचा नहीं सकता है: कोई भी नहीं, कोई भी व्यक्ति नहीं!

युद्ध और शांति, महामारी और स्वास्थ्य देखभाल, भूख और भोजन तक पहुंच, वैश्विक तापमान और सतत विकास, आबादी का विस्थापन, परमाणु खतरों का उन्मूलन और असमानताओं में कमी: ये ऐसे मामले हैं जो व्यक्तिगत राष्ट्रों के लिए नहीं हैं। ‘ऐसी दुनिया जो आपस में जुड़ा हुआ है’, इसे अब हम बेहतर तरीके से समझते हैं,  फिर भी अक्सर भ्रातृत्व की भावना का अभाव है। हम सब भाई-बहनें हैं! आइए, हम सर्व शक्तिमान से प्रार्थना करें कि इस परीक्षण के समय के बाद, अब हम "अन्य" बनकर न रहें, बल्कि विविधता में समृद्ध "हम" बनें। यह समय साहसपूर्वक सपने देखने का समय है कि शांति संभव है। युद्ध के बिना एक दुनिया काल्पनिक नहीं है, यही कारण है कि हम एक बार फिर कहना चाहते हैं: "अब और कोई युद्ध नहीं!"

दुख की बात है कि कई लोगों के लिए अंतर्राष्ट्रीय विवादों का हल युद्ध से संभव है, परंतु ऐसा नहीं है। इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, हमें सभी को याद दिलाना है कि युद्ध हमेशा दुनिया को इससे भी बदतर बनाता है। युद्ध राजनीति की और मानवता की विफलता है।

हम सरकार के नेताओं से अपील करते हैं कि वे विभाजन की भाषा को अस्वीकार करें, जो अक्सर भय और अविश्वास पर आधारित होती है और बिना किसी वापसी के रास्तों पर चलने से बचती है। हम सब मिलकर पीड़ितों को देखें। वर्तमान में बहुत सारे संघर्ष जारी हैं।

राष्ट्रों के नेताओं से हम कहते हैं: व्यापक शांति के लिए हम मिलकर काम करें। आइए, हम जीवन, स्वास्थ्य, शिक्षा और शांति को बढ़ावा देने हेतु काम करें। जीवन को चुनने, मानवता और हमारे सामान्य घर की देखभाल करने के लिए विनाशकारी और घातक हथियारों के उत्पादन में नियोजित संसाधनों को मोड़ने का समय आ गया है। हम और समय बर्बाद नहीं कर सकते! आइए, हम प्राप्त लक्ष्यों के साथ शुरू करें: क्या हम वायरस के प्रसार को रोकने के लिए अपने प्रयासों को तुरंत एकजुट कर सकते हैं जब तक कि एक टीका सभी के लिए उपयुक्त और उपलब्ध न हो जाए। महामारी हमें याद दिला रही है कि हम भाई-बहनों में खून का रिश्ता है।

सभी विश्वासियों और भली इच्छा वाले पुरुषों और महिलाओं से हम कहते हैं: आइए, हम शांति के रचनात्मक कारीगर बनें, हम सामाजिक दोस्ती का निर्माण करें, हम संवाद को अपनी संस्कृति बनाएं। ईमानदार, दृढ़ और साहसी संवाद अविश्वास, विभाजन और हिंसा का प्रतिकारक है। संवाद युद्ध के लिए तर्कों को विघटित करता है, युद्ध भाईचारे को नष्ट करता है।

कोई भी यह महसूस नहीं करे कि उसे छूट मिली है। हम सभी की साझा जिम्मेदारी है। हम सभी को क्षमा मांगने और क्षमा देने की आवश्यकता है। दुनिया और इतिहास के अन्याय, घृणा और प्रतिशोध से नहीं, बल्कि संवाद और क्षमा द्वारा ठीक होते हैं।

ईश्वर हमें इन आदर्शों के प्रति प्रतिबद्ध रहने और उस यात्रा की प्रेरणा दें, जो हम एक साथ कर रहे हैं। वे हर दिल को छू लें और हमें शांति का अग्रदूत बनायें।

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