विश्वास, प्रार्थना और प्रायश्चित द्वारा बुराई पर विजय पायें, पोप।

रविवार को देवदूत प्रार्थना के पूर्व विश्वासियों को सम्बोधित करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने बतलाया कि किस तरह ईश वचन हमें चालीसा काल के 40 दिनों को फलप्रद तरीके से व्यतीत करने का रास्ता दिखलाते हैं।
वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 21 फरवरी को संत पिता फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।"
पिछले बुधवार को, राख मलन की पश्चाताप की धर्मविधि के साथ हमने चालीसाकाल की यात्रा शुरू की। आज, इस धर्मविधिक काल के पहले रविवार को, ईश्वर का वचन हमें इन 40 दिनों को फलप्रद तरीके से जीने का रास्ता दिखलाता है जो पास्का के वार्षिक महोत्सव की ओर ले जाता है। इसी रास्ते पर येसु चले थे, जिसका संत मारकुस की महत्वपूर्ण शैली में सुसमाचार यह कहते हुए साराँश प्रस्तुत करता है, अपना उपदेश शुरू करने से पहले "वे 40 दिनों तक निर्जन प्रदेश में रहे, जहाँ शैतान ने उनकी परीक्षा ली।" (मार.1,12-15) सुसमाचार लेखक रेखांकित करता है कि "आत्मा ईसा को निर्जन प्रदेश ले गया।" (12) यर्दन नदी में योहन द्वारा बपतिस्मा लेने के तुरन्त बाद पवित्र आत्मा उनपर उतरा था। वही आत्मा इस समय उन्होंने निर्जन प्रदेश में जाने के लिए प्रेरित किया कि वे प्रलोभन देनेवाले (शैतान) का सामना करें, शैतान के साथ संघर्ष करें। येसु का पूरा अस्तित्व ईश्वरीय आत्मा के चिन्ह के अधिन है जो उन्हें प्रेरित करता, प्रोत्साहित करता एवं मार्गदर्शन देता है।
संत पिता फ्राँसिस ने निर्जन प्रदेश पर चिंतन करने हेतु प्रेरित करते हुए कहा, "किन्तु हम निर्जन प्रदेश पर चिंतन करें। हम इस वातावरण में थोड़ी देर रूकें, जो प्राकृतिक एवं प्रतीकात्मक है, यह बाईबिल में बहुत महत्वपूर्ण हैं। निर्जन प्रदेश एक ऐसा स्थान है जहाँ ईश्वर मनुष्यों के हृदय में उनसे बात करते हैं और जहाँ प्रार्थना का उत्तर मिलता है, अर्थात् एकाकी के निर्जन प्रदेश में हृदय दूसरी चीजों से दूर होता और सिर्फ उसी एकाकी में वह ईश्वर के वचन के लिए खुला होता है किन्तु यह परीक्षा और प्रलोभन का स्थान भी है, जहाँ प्रलोभन देनेवाला, दुर्बलता एवं मानवीय आवश्यकताओं के अभाव से लाभ उठाते हुए, अपनी झूठी बातों से सलाह देता है।

दूसरी ओर ईश्वर की आवाज है, जो आपको छल के दूसरे रास्ते को दिखाता है, शैतान के बहकावे के रास्ता को। वास्तव में, येसु का 40 दिनों तक निर्जन प्रदेश में रहना, येसु और शैतान के बीच द्वंद्वयुद्ध की शुरूआत है, जो दुःखभोग एवं क्रूस में समाप्त होता है। ख्रीस्त का पूरा मिशन बुराई के विरूद्ध लड़ाई है, जिसको वे कई बार चीजों में दिखलाते हैं, बीमारी से चंगाई, अपदूत निकालने, पापों को क्षमा देने के द्वारा। पहला चरण जिसमें येसु दिखलाते हैं कि वे ईश्वर की शक्ति से बोलते एवं कार्य करते हैं, ऐसा लगता है कि शैतान अधिक शक्तिशाली है, जब ईश्वर के पुत्र बहिष्कृत, परित्यक्त और अंततः पकड़े जाते एवं मृत्यु दण्ड पाते हैं। वास्तव में, मृत्यु अंतिम निर्जन प्रदेश था जिसको शैतान पर विजय पाने एवं हमें मुक्ति दिलाने के लिए पार करना था। इस तरह येसु ने पुनरूत्थान के द्वारा मौत के निर्जन प्रदेश को पार किया।

ख्रीस्तियों का जीवन प्रभु के पदचिन्हों पर"- हर साल, चालीसा काल के शुरू में, येसु के निर्जन प्रदेश में प्रलोभन का यह सुसमाचार पाठ हमें स्मरण दिलाता है कि ख्रीस्तियों का जीवन प्रभु के पदचिन्हों पर, बुरी आत्मा के खिलाफ एक संघर्ष है। यह दिखलाता है कि येसु ने स्वेच्छा से प्रलोभन देनेवाले का सामना किया और उसे हराया एवं साथ ही, हमें यह भी याद दिलाता है कि शैतान को अपने लालच के द्वारा हमें प्रलोभन देने की संभावना दी गई है। हमें इस धुर्त शत्रु की उपस्थिति से सावधान रहना है, जो हमारे अनन्त दण्ड, हमारी असफलता की खोज करता है, अतः हमें अपने आपको उससे बचने एवं संघर्ष करने के लिए तैयार रहना है। ईश्वर की कृपा : विश्वास, प्रार्थना और प्रायश्चित के द्वारा शत्रु पर हमारी विजय का आश्वासन देती है।

शैतान के साथ कभी वार्तालाप न करें:- संत पिता फ्राँसिस ने कहा, "किन्तु मैं एक चीज को रेखांकित करना चाहता हूँ: प्रलोभन में येसु शैतान के साथ कभी वार्तालाप नहीं करते, कभी नहीं। अपने जीवन में येसु ने शैतान के साथ कभी वार्तालाप नहीं किया। उन्होंने या तो अपदूतग्रस्त से उसे भगा दिया अथवा दण्ड दिया या उसके द्वेष को प्रकट किया किन्तु वार्तालाप कभी नहीं किया।" निर्जन प्रदेश में लगता है कि वे उससे वार्तालाप कर रहे थे क्योंकि शैतान ने तीन प्रस्ताव रखे और येसु ने उनका उत्तर दिया। लेकिन येसु ने अपने शब्दों से जवाब नहीं दिया, उन्होंने ईश्वर के वचनों, धर्मग्रंथ के तीन कदमों से जवाब दिया। संत पापा ने कहा कि यह हम सभी के लिए है। जब प्रलोभक निकट आता है वह प्रलोभन देना शुरू करता है: इसको सोचो, इसको करो" आदि आदि, उसके साथ बातचीत करने में प्रलोभन है जैसा कि हेवा ने किया। हेवा ने कहा, "नहीं खा सकते क्योंकि हमें इस तरह वह उसके साथ बातचीत करने लगी। यदि हम शैतान के साथ वार्तालाप करना शुरू करेंगे तो हम हार जायेंगे।" संत पापा ने कहा कि हम इस बात को अपने मन और हृदय में रख लें: शैतान के साथ कभी वार्तालाप नहीं करना है, उससे वार्तालाप संभव नहीं है। केवल ईश्वर के वचन से वार्तालाप हो सकता है।
प्रार्थना, मौन व अपने अंदर प्रवेश करने का समय निकालें:- चालीसा काल के समय में, पवित्र आत्मा हमें भी येसु के समान प्रेरित करता और निर्जन प्रदेश में प्रवेश कराता है। यह को भौतिक स्थान नहीं है बल्कि अस्तित्वगत आयाम है जहाँ हम शांत रह सकते और ईश्वर की वाणी को सुन सकते हैं, ताकि हममें एक सच्चा मन-परिवर्तन हो सके । (वर्ष बी के चालीसा काल के पहले रविवार का संकलन)। संत पिता ने कहा कि हम निर्जन प्रदेश से न डरें, प्रार्थना, मौन और अपने अंदर प्रवेश करने के लिए अधिक समय निकालें। हम भयभीत न हों। हम, बपतिस्मा में हमारी प्रतिज्ञा को नवीकृत करते हुए ईश्वर के रास्ते पर चलने के लिए बुलाये गये हैं : शैतान और उसके सभी कृत्यों एवं उसके छल का त्याग करने के लिए बुलाये गये हैं। शैतान वहीं है, सावधान रहें। उसके साथ कभी वार्तालाप न करें।
संत पिता ने माता मरियम की याद करते हुए कहा, "हम अपने आपको कुँवारी मरियम की मामतामय मध्यस्थता को समर्पित करें।"  
इतना कहने के बाद संत पिता ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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