कार्डिनल वानहोए ने उदारता के साथ सुसमाचार प्रचार किया, पोप फ्राँसिस। 

संत पिता फ्राँसिस ने जेसुइट कार्डिनल अल्बर्ट वानहोए की मृत्यु पर शोक संदेश भेजा, जिनकी मृत्यु 29 जुलाई को रोम में 98 वर्ष की आयु में हुई थी। वे कार्डिनल मंडल के सबसे पुराने सदस्य थे। उन्हें संत पिता बेनेडिक्ट सोलहवें द्वारा कार्डिनल बनाया गया था, जिन्होंने उन्हें "एक महान व्याख्याता" कहा था।
अपना 98वां जन्मदिन मनाने के कुछ दिनों बाद, कार्डिनल अल्बर्ट वानहोए, एसजे, का गुरुवार, 29 जुलाई को रोम में निधन हो गया। "संत पिएत्रो कनिसियो" भवन जहां कार्डिनल रहते थे, वहाँ के सुपीरियर फादर मानुअल मोरुजाओ को एक तार भेजकर संत पापा फ्राँसिस ने "इस भाई की "मृत्यु" पर अपनी संवेदना व्यक्त की। जिसने "प्रभु और कलासिया की बड़ी भक्ति के साथ सेवा की।"
पोप ने आगे लिखा, "मैं संत इग्नासियुस के एक उत्साही आध्यात्मिक पुत्र, एक विशेषज्ञ शिक्षक, एक प्रसिद्ध बाइबिल विद्वान, परमधर्मपीठीय बाइबिल संस्थान के एक सम्मानित रेक्टर और रोमन कुरिया के कई विभागों में एक मेहनती एवं बुद्धिमान सहयोगी के रूप में उनके गहन और विपुल कार्य के लिए आभार व्यक्त करता हूँ।”
संदेश में, संत पिता फ्राँसिस ने कार्डिनल वानहोए के "सुसमाचार प्रचार के लिए प्यार को याद किया, जिसे उन्होंने उदारता के साथ सुसमाचार को संप्रेषित करने की एक भावुक इच्छा से प्रेरित होकर किया था।" संत पापा ने परमेश्वर से प्रार्थना की कि "वे अपने इस वफादार सेवक को स्वर्गीय येरूसालेम में स्वागत करें।" संत पापा ने कार्डिनल वानहोय के निधन पर शोक करने वाले सभी प्रियजनों तथा समुदाय के सदस्यों को भी याद किया, जिन्होंने प्यार से उनकी सहायता की और उनके जीवन के अंतिम समय में उनका साथ दिया। संत पापा ने उन सभी को अपना आशीर्वाद प्रदान किया।"
कार्डिनल अल्बर्ट वानहोय, एस.जे., का जन्म 24 जुलाई 1923 को फ्रांस के हेज़ब्रुक में हुआ था। 26 जुलाई 1954 को येसु धर्मसंध के सदस्य के रुप में उनका परोहिताभिषेक हुआ। उन्होंने साहित्य, दर्शन और धर्मशास्त्र में मास्टर की डिग्री, और पवित्र शास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी।
1963 से, कार्डिनल वानहोय रोम के परमधर्मपीठीय बाइबिल संस्थान में प्रोफेसर रहे हैं, जहां वे 1969 से1975 तक बाइबिल संकाय के डीन और 1984 से 1990 तक रेक्टर भी रहे।
उन्होंने परमधर्मपीठीय ग्रेगोरियन विश्वविद्यालय और परमधर्मपीठीय लातेरन विश्वविद्यालय में भी पढ़ाया और छात्रवृत्ति के क्षेत्र में और विभिन्न समाजों के सदस्य के रूप में कई अन्य गतिविधियों को शुरु किया। उन्होंने विभिन्न भाषाओं में कई रचनाएँ भी प्रकाशित की हैं।
कार्डिनल वानहोय प्रेरितिक संविधान ‘सपिएन्सा क्रिस्तियाना’ की तैयारी के लिए बने आयोग के सदस्य थे और परमधर्मपीठीय बाइबिल आयोग के सदस्य और सचिव थे। 1980 से 1996 तक ख्रीस्तीय एकता को बढ़ावा देने के लिए बने परमधर्मपीठीय परिषद के सलाहकार, 1976 से काथलिक शिक्षा के लिए बने धर्मसंध  के सलाहकार और 1990 से विश्वास एवं धर्म सिद्धांत के लिए बनी परमधर्मपीठीय परिषद के सलाहकार थे।

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