इराकवासियों के प्रति पोप की कृतज्ञता।

संत पिता फ्रांसिस ने मिस्सा बलिदान के उपरांत इराकवासी के प्नति हृदय से कृतज्ञता के भाव प्रकट किये।
संत पिता फ्रांसिस ने मिस्सा की समाप्ति उपरांत प्राधिधर्माध्यक्ष महामहिम ग्वारगिस तृतीय, सीरियाई पूर्वी कलीसिया के प्राधिधर्माध्य की उपस्थिति हेतु उन्हें अपने कृतज्ञता के भाव प्रकट किये। उन्होंने सभी शहीदों की याद करते हुए ख्रीस्तयाग में सहभागी हुए सभों ख्रीस्तीय विश्वासियों का धन्यवाद कहा। “हमारे शहीद आकाश में तारों की तरह चमकते है। वहाँ से वे हमें एक साथ चलते हुए पूर्ण एकता में बने रहने का आहृवान करते हैं।”
संत पिता फ्रांसिस ने महाधर्माध्यक्ष बाशार माती वारदा, धर्माध्यक्ष नजीर सेम्मान और अन्य धर्माध्यक्षों को प्रति अपने अभार व्यक्त किये जिन्होंने इस तीर्थ की सफलता हेतु कठिन मेहनत की। संत पिता फ्रांसिस ने इस यात्रा के दौरान विभिन्न रूपों में उनका साथ देने वालों को शुक्रिया कहा खास कर उन्होंने कुर्दिश लोगों का हृदय से धन्यवाद अदा किया। उन्होंने सरकारी अधिकारियों, नागर अधिकारियों और विभिन्न सव्यंसेवी दलों के अभूतपूर्व सहयोग के लिए उनका धन्यवाद अदा किया। उनकी सहायता की।
संत पिता फ्रांसिस ने कहा कि आप के साथ समय व्यतीत करते हुए मैंने आप के दुःख-दर्द और बिछुड़न की आवाज के साथ-साथ आशा और सांत्वना की बातों को सुना। यह स्थानीय कलीसिया, हितकारी और करूणा के क्रार्य में संलग्न विभिन्न संस्थानों के कारण हो संभव हो पाया जो यहाँ के नागरिकों को पुनः सामाजिक रुप में व्यवस्थित होने हेतु मदद कर रहे हैं। इस संदर्भ में उन्होंने रोआको (ROACO) संस्थान के जनप्रतिनिधियों का शुक्रिया अदा किया।
संत पिता फ्रांसिस ने कहा कि अब मेरे रोम वापस लौटने का समय आ गया है। फिर भी इराक सदा मेरे हृदय के करीब रहेगा। उन्होंने सभों का आहृवान करते हुए कहा, “आप सब एक साथ मिलकर देश में शांति और समृद्धि हेतु कार्य करें जिसमें किसी के संग कोई पक्षपात न हो और कोई भी न छूटे।” मैं इस प्यारे देश को अपनी प्रार्थनाओं का आश्वसान देता हूँ विशेष रुप से विभिन्न धार्मिक समुदायों के लिए जिससे वे सभों के साथ मिलकर भ्रातृत्व और एकात्मकता में जनसामान्य के हित और शांति हेतु कार्य कर सकें। उन्होंने हृदय की गहराई से इराक में शांति और आशीष की कामना करते हुए सलाम,सलाम,सलाम  उच्चरित किये और सभों को शुक्ररान कहा। 

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