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आनन्द एवं शांतिमय साल 2021 की हार्दिक शुभकामनाएँ।
संत पापा फ्राँसिस ने 1 जनवरी 2021 को, ईश माता मरियम के पर्व एवं विश्व शांति दिवस पर वाटिकन के प्रेरितिक आवास की लाईब्रेरी से देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, जिसके पूर्व उन्होंने सीधे प्रसारण के माध्यम से विश्वासियों को सम्बोधित किया।
संत पिता फ्रांसिस ने कहा, "प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात और नूतन वर्ष मंगलमय हो। हम इस साल की शुरूआत अपने आपको अति पवित्र मरियम की ममतामय एवं प्रेमी निगाह को समर्पित करते हुए करें, जिनका पर्व आज की धर्मविधि में ईश्वर की माता के रूप में मनाया जाता है।
हम पर मरियम की ममतामय स्नेही नजर :- इस तरह हम पुनः एक बार इतिहास के रास्ते पर यात्रा करते हुए, हमारी चिंताओं एवं पीड़ाओं को उन्हें समर्पित करते हैं जो सब कुछ कर सकती हैं। मरियम हमारे ऊपर ममतामय कोमलता के साथ नजर डालती हैं जैसा कि वे अपने पुत्र येसु पर नजर डालती हैं और यदि हम चरनी पर नजर डालें हम देखेंगे कि येसु चरनी में नहीं हैं और लोगों ने मुझे बतलाया कि माता मरियम ने कहा, "वे हमें अपनी बाहों में लेना चाहती हैं जैसा कि उन्होंने अपने पुत्र को लिया एवं दुलार किया।"
पवित्र कुँवारी के आश्वासन और उनकी सांत्वनापूर्ण दृष्टि एक प्रोत्साहन है जो हमें प्रभु द्वारा प्रदान किया गया है हम इसे हमारे मानवीय एवं आध्यात्मिक विकास के लिए प्रयोग करें। यह एक ऐसा समय हो जिसमें घृणा और विभाजन खत्म हो जाएँ, यह निर्माण करने एवं नष्ट नहीं करने का समय हो, एक-दूसरे एवं सृष्टि की देखभाल करने का समय हो, बढ़ने का समय, शांति का समय।
विश्व शांति दिवस:- संत पिता फ्रांसिस ने विश्व शांति दिवस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विश्व शांति दिवस की विषयवस्तु, खासकर, हमारे पड़ोसियों एवं सृष्टि की देखभाल के संबंध में है, जिसको हम आज मनाते हैं, वह देखभाल की संस्कृति हेतु शांति के एक रास्ते के रूप में समर्पित है। पीड़ादायक परिस्थिति जिसने पिछले साल मानवता की यात्रा को प्रभावित किया, खासकर, महामारी ने सीख दी कि दूसरों की समस्याओं पर ध्यान देना एवं उनकी चिंताओं को साझा करना कितना जरूरी है। यह मनोभाव उस रास्ते की ओर प्रेरित करता है जो शांति की ओर ले चलता है क्योंकि यह भ्रातृत्व पूर्ण संबंध के आधार पर समाज के निर्माण को बढ़ावा देता है। इस समय के सभी स्त्री और पुरूष शांति का निर्माण करने के लिए बुलाये जाते हैं, हम में से प्रत्येक जन, हम इसे तटस्त नहीं रह सकते। हम प्रत्येक जन शांति को साकार करन के लिए बुलाये गये हैं, हरेक दिन एवं उन सभी स्थानों में, जहाँ हम जीते हैं, उन भाई बहनों की मदद करने, जिन्हें सांत्वना, एक कोमल भाव एवं एकात्मता पूर्ण सहायता की आवश्यकता है। यह हमारे लिए ईश्वर की ओर से दिया गया एक काम है। प्रभु ने हमें शांति के शिल्पकार बनने का कार्य सौंपा है।
फिक्र करने की मानसिकता एवं संस्कृति विकसित करना :- शांति यथार्थ बन जाती है यदि हम अपने आपमें, अपने हृदय में एवं हमारे नजदीक रहनेवालों के साथ शांति में रहना शुरू करते हैं, उन बाधाओं को दूर करते हुए जो हमें जरूरतमंद लोगों की चिंता करने से रोकते हैं। इसका अर्थ है फिक्र करने की एक ऐसी मानसिकता एवं संस्कृति विकसित करना, ताकि उदासीनता, बहिष्कार एवं बदले की भावना, जो दुर्भाग्य से प्रबल हो जाती है, पराजित हो जाए। शांति केवल युद्ध का अभाव नहीं है, बल्कि एक अर्थपूर्ण जीवन है जो व्यक्तिगत एहसास एवं दूसरों के साथ भाईचारा पूर्ण साझा पर आधारित होता एवं जिया जाता है। तब यह शांति जिसकी चाह लम्बे समय से थी तथा जो हिंसा, घमंड एवं बुराई से घिरी है, प्राप्त करना संभव है।
कुँवारी मरियम जिन्होंने शांति के राजकुमार को जन्म दिया (इसा.9:6) हमारे लिए स्वर्ग से शांति का बहुमूल्य उपहार प्रदान करे जिसको सिर्फ मानवीय शक्ति से प्राप्त नहीं किया जा सकता। शांति सबसे बढ़कर एक उपहार है जिसको निरंतर प्रार्थना द्वारा ईश्वर से याचना करने, धीरज एवं सम्मानपूर्ण वार्ता से पोषित करने, न्याय एवं सच्चाई द्वारा खुले सहयोग से निर्मित होने तथा हमेशा व्यक्तियों और लोगों की वैध आकांक्षाओं के प्रति चौकस रहने के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
शांति का राज:- संत पिता फ्रांसिस ने शांति की कामना करते हुए कहा, "मेरी आशा है कि शांति सभी पुरूषों एवं महिलाओं के हृदय तथा परिवारों, मनोरंजन एवं कार्यस्थलों, समुदायों और राष्ट्रों में राज करे" और अब जब हम सोचते हैं कि जीवन युद्ध, शत्रुता, कई चीजों को नष्ट करने में लगा हुआ है ... हम शांति की कामना करते हैं और यह एक वरदान है।
"इस शुरूआत के द्वार पर, मैं आप सभी को आनन्दमय एवं शांतिमय साल 2021 की हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ। यह सभी के लिए भाईचारापूर्ण एकात्मता एवं शांति का वर्ष हो, एक ऐसा वर्ष जो सच्चाई एवं आशा से पूर्ण हो, हम इसे ईश्वर की माता और हमारी माता मरियम के संरक्षण में समर्पित करते हैं।"
इतना कहने के बाद संत पिता फ्रांसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
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