नाबालिगों की सुरक्षा पर सन्त पापा फ्राँसिस का "मोतू प्रोप्रियो"

Pope Francis

सन्त पापा फ्राँसिस ने "मोतू प्रोप्रियो" यानि स्वप्रेरणा से रचित एक पत्र की प्रकाशना कर नाबालिगों एवं कमज़ोर वर्ग के लोगों की रक्षा का आह्वान किया है। नाबालिगों और कमज़ोर वर्ग के लोगों की सुरक्षा कलीसिया के सुसमाचारी सन्देश का अखण्ड भाग है।

सन्त पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार, 29 मार्च को "मोतू प्रोप्रियो" यानि स्वप्रेरणा से रचित एक पत्र की प्रकाशना कर नाबालिगों एवं कमज़ोर वर्ग के लोगों की रक्षा का आह्वान किया है।

"मोतू प्रोप्रियो" पत्र की शुरुआत सन्त पापा फ्राँसिस सन्त मत्ती रचित सुसमाचार की पंक्ति से करते हैं जिसमें प्रभु येसु ख्रीस्त कहते हैं, "जो मेरे नाम पर ऐसे बालक का स्वागत करता है, वह मेरा स्वागत करता है।" सन्त पापा लिखते हैं, "नाबालिगों और कमज़ोर वर्ग के लोगों की सुरक्षा कलीसिया के सुसमाचारी सन्देश का अखण्ड भाग है जिसके प्रसार हेतु कलीसिया के सभी सदस्यों का आह्वान किया जाता है।"  

सुरक्षित परिस्थितियों एवं वातावरण का निर्माण

सन्त पापा ने कहा कि सभी लोगों का दायित्व है कि वे नाबालिगों एवं कमज़ोर वर्ग के लोगों का स्वागत करें तथा उनके लिये सुरक्षित परिस्थितियों एवं सुरक्षित वातावरण का निर्माण करें और इसके लिये गहन एवं अनवरत मनपरिवर्तन की आवश्यकता है।

सन्त पापा ने लिखा कि नाबालिगों के विरुद्ध दुराचारों को रोकने के उद्देश्य से वे कलीसिया के संस्थागत नियमों को और अधिक ठोस बनाना चाहते थे ताकि परमधर्मपीठीय रोमी कार्यालय तथा वाटिकन सिटी और राज्य में नाबालिगों एवं कमज़ोर वर्ग के व्यक्तियों के प्रति सम्मान बना रहे; कोई भी किसी भी प्रकार की शारीरिक अथवा मनोवैज्ञानिक हिंसा का शिकार न बनाया जाये; किसी का परित्याग न किया जाये और न ही कोई लापरवाही का शिकार बनाया जाये; किसी को भी शोषण से पीड़ित न किया जाये जो प्रायः अन्तर-वैयक्तिक सम्बन्धों में हो सकता है।  

दुराचार के विरुद्ध न्यायिक कार्रवाई

"मोतू प्रोप्रियो" पत्र में सन्त पापा फ्राँसिस ने रेखांकित किया कि वाटिकन राज्य के भीतर तथा उसके द्वारा संचालित किसी भी कार्यालय अथवा दफ्तर में किसी भी धर्माधिकारी अथवा ज़िम्मेदार व्यक्ति या कर्मचारी द्वारा किसी भी प्रकार के दुराचार के विरुद्ध न्यायिक कार्रवाई अनिवार्य रहेगी।

वाटिकन तथा परमधर्मपीठीय रोमी कार्यालय में सेवारत अधिकारियों एवं कर्मचारियों का सन्त पापा फ्राँसिस ने आह्वान किया कि वे हर प्रकार के दुराचार अथवा उत्पीड़न को रोकने हेतु सहयोग प्रदान करें।

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