"जीवन को अर्थ पूर्ण बनाते हैं येसु" पोप फ्रांसिस

अंतर्राष्ट्रीय वार्षिक युवा महोत्सव 31 जुलाई से 6 अगस्त तक मेजोगोरेया के मरियम तीर्थालयर आयोजित हो रहा है। प्रार्थना, आराधना, गवाही और संगीत के माध्यम से अपने आध्यात्मिक जीवन में बढ़ने के लिए बोस्निया और हर्जेगोविना शहर में हर साल 50,000 से अधिक युवा और 400 पुरोहित एकत्रित होते हैं।

पोप फ्रांसिस ने मेजोगोरेमें प्रार्थना सभा में एकत्रित युवाओं को क्रोएशियाई भाषा में संबोधित करते हुए कहा, ʺआप पवित्र युखरीस्त समारोह और पाप स्वीकार संस्कार में विशेष रुप से प्रभु येसु से मुलाकात कर पायेंगे और इस प्रकार आप "जीवन जीने का एक अलग तरीका" जान पाएंगे। यह "अस्थायी की संस्कृति" नहीं है और न "सापेक्षतावाद" है बल्कि "सही और सुनिश्चित उत्तर" है। सभा के मार्गदर्शक शब्द: "आओ और देखो"(योहन 1:39), येसु ने अपने शिष्यों को संबोधित किया था, वही येसु आज आप लोगों पर टकटकी लगाये खड़े हैं और अपने साथ रहने के लिए आप सभी को निमंत्रण दे रहे हैं।”

येसु की गवाही
पोप फ्रांसिस ने कहा, प्रभु का साथ चाहने वाले युवाओं के जीवन को प्रभु अर्थपूर्ण बनाता है। वह सभी चीजों को नया बनाता है: "येसु से मुलाकात कर आप एक नए व्यक्ति बन जाते हैं और आप इस अनुभव को दूसरों तक पहुंचाने का मिशन प्राप्त करते हैं। इस मिशन को करते वक्त आप अपनी निगाहें प्रभु पर टिकाये रखें। संत पापा ने युवाओं को प्रभु से मुलाकात करने के लिए और उनसे बातें करने हेतु प्राप्त समय देने और प्रभु के चरणों में खुद को समर्पित करने हेतु आमंत्रित किया।   

पोप फ्रांसिस ने कहा कि यह सप्ताहिक समारोह "आओ और देखो" आप सभी के लिए येसु के करीब आने  अर्थात् शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से येसु की ओर बढ़ना है और "प्रभु का अनुभव कर उन्हें धन्यवाद देना है। अपने अस्तित्व को पूर्ण और निश्चित अर्थ में देखना है।

"हाँ" कहने में मरिया हमारा आदर्श
पोप फ्रांसिस ने जीवन में चुनौतियों को स्वीकार करने वाली माता मरियम को आदर्श के रुप में युवाओं के समाने प्रस्तुत करते हुए कहा, मरियम ने दूत के संदेश पर विश्वास करते हुए अपनी स्वीकृति जाहिर करते हुए कहा, "देखिये मैं प्रभु की दासी हूँ, आपका कथन मुझ पर पूरा हो जाए।" (लूक, 1:38) मरियम के पास स्वर्ग दूत के वचनों पर विश्वास करने के अलावा और कोई दूसरा गारंटी नहीं था।  अपने "हां" के साथ उन्होंने खुद को जोखिम में डाल दिया और अंत तक उनहोंने येसु का साथ दिया। संत पापा ने कहा, यह "सबसे सुंदर उदाहरण है जो हमें बताता है कि क्या होता है जब मनुष्य अपनी स्वतंत्रता में, स्वयं को ईश्वर के हाथों में छोड़ देता है। मरियम वह माँ है जो जीवन राह पर चल रहे अपने बच्चों का देखभाल करती है। जो थके हुए हैं और जरूरतमंद जो भी उनसे मदद की गुहार करते हैं माता मरियम उन्हें कभी अकेला नहीं छोड़ती। उनकी आशा की रोशनी कभी नहीं बुझती है।

नौजवानों की जरूरत है कलीसिया को
अपने संदेश का समापन संत पापा ने युवाओं को लिखे प्रेरितिक पत्र क्रिस्तुस विवित (ख्रीस्त जीवित हैं) ( न. 299) से किया। पोप फ्रांसिस ने कहा, आप "बहुतों द्वारा प्यार किये जाने वाले चेहरे की ओर आकर्षित होकर दौड़ें, जिनकी हम पवित्र साक्रामेंट में आराधना करते हैं और पीड़ित भाई-बहनों में उन्हें पहचानते हैं। पवित्र आत्मा आपको इस दौड़ में आगे ले चले। कलीसिया को आपके अंतर्ज्ञान, आपकी रचनात्मकता और आपके विश्वास की आवश्यकता है।”

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