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"ईश्वर का धैर्य हमारे हृदय को आशा के लिए खोलता है" पोप
देवदूत प्रार्थना के पूर्व पोप फ्रांसिस ने कहा, "येसु बतलाते हैं कि वह खेत जहाँ अच्छा बीज बोया गया था, जंगली पौधे भी उग आये। इस शब्द का प्रयोग हर प्रकार के हानिकारक पौधों के लिए किया गया है जो जमीन को संक्रमित करते हैं। हमारे बीच हम भी कह सकते हैं कि आज भी कीटनाशक दवाओं के द्वारा मिट्टी नष्ट हो रही है जो अंततः पौधा, जमीन और स्वास्थ्य को हानि पहुँचाता है।"
वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित विश्वासियों के साथ पोप फ्रांसिस ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।"
आज के सुसमाचार पाठ में (मती.13:24-43) हम येसु से फिर मुलाकात करेंगे जिसमे वे दृष्टांत द्वारा स्वर्ग राज के बारे बतलाना चाहते हैं। मैं पहले दृष्टांत पर रूकता हूँ जो जंगली बीज का है जिसके द्वारा येसु ईश्वर के धैर्य को प्रकट करते हैं, और हमारे हृदय को आशा के लिए खोलते हैं।
धीरज की आवश्यकता
येसु बतलाते हैं कि खेत जहाँ अच्छा बीज बोया गया था, वहाँ जंगली पौधे भी उग आये। इस शब्द का प्रयोग हर प्रकार के हानिकारक पौधों के लिए किया गया है जो जमीन को संक्रमित करते हैं। हम भी कह सकते हैं कि आज भी कीटनाशक दवाओं के द्वारा मृदा प्रदूषित हो रही है, जो अंततः पौधा, जमीन और स्वास्थ्य को हानि पहुँचाता है।
इस पर नौकरों ने आकर स्वामी से कहा, ’मालिक, क्या आपने अपने खेत में अच्छा बीज नहीं बोया था? उस में जंगली बीज कहाँ से आ पड़ा? स्वामी ने उस से कहा, ’यह किसी बैरी का काम है’। तब नौकरों ने उससे पूछा, ’क्या आप चाहते हैं कि हम जाकर जंगली बीज बटोर लें’? स्वामी ने उत्तर दिया, ’नहीं, कहीं ऐसा न हो कि जंगली बीज बटोरते समय तुम गेहूँ भी उखाड़ डालो। कटनी तक दोनों को साथ-साथ बढ़ने दो। कटनी के समय मैं लुनने वालों से कहूँगा- पहले जंगली बीज बटोर लो और जलाने के लिए उनके गटठे बाँधो। तब गेहूँ मेरे बखार में जमा करो।"
अच्छे और जंगली बीज, हम मानव के प्रतीक
पोप फ्रांसिस ने कहा, "इस दृष्टांत में कहानी के दर्शन को इस तरह समझा जा सकता है। ईश्वर, खेत के मालिक जो सिर्फ अच्छे बीज बोते हैं। वहाँ उनके बगल में एक बैरी है जो बीज को बढ़ने से रोकने के लिए बाधा डालने हेतु जंगली बीज बो देता है।"
स्वामी खुले रूप से सूर्य के प्रकाश में कार्य करता है और उनका उद्देश्य है अच्छी फसल प्राप्त करना, जबकि दूसरा, रात के अंधेरे का फायदा उठाता है और सब कुछ नष्ट करने के लिए ईर्ष्या एवं शत्रुता से कार्य करता है। बैरी का एक नाम है, वह शैतान है, ईश्वर का विरोधी। उसका उद्देश्य है मुक्ति के कार्य में बाधा डालना, यह सुनिश्चित करना कि ईश्वर का राज्य अन्याय के कार्यों, ठोकर बोने आदि के द्वारा बाधित हो। वास्तव में, अच्छे और जंगली बीज, कोई अस्पष्ट अच्छाई और बुराई को प्रकट नहीं करते बल्कि हम मानव के प्रतीक हैं जो ईश्वर अथवा शैतान का अनुसरण करते हैं।
कई बार हमने सुना है कि एक परिवार में शांति थी, अब कलाह और ईर्ष्या शुरू हो गया है... एक पड़ोसी जो शांति में जीता था अब उसमें बुरी चीजें होने लगी हैं और हम ऐसा कहने के आदि हैं, किसी ने वहाँ जंगली बीज बो दिया है अथवा परिवार का यह व्यक्ति छोटी-छोटी बातों में जंगली बीज बोता है। वह हमेशा बुराई बोता है, नष्ट करता है। ऐसा हमेशा शैतान करता है, संत पापा ने कहा कि जब हम गपशप करने के प्रलोभन में पड़ते हैं तो दूसरों को नष्ट करते हैं।
धीरज ख्रीस्तीय बुलाहट का हिस्सा
सेवकों का मकसद होता है बुराई यानी बुरे लोगों को तुरन्त दूर करना किन्तु स्वामी बुद्धिमान हैं वे दूर तक दृष्टि डालते हैं। वे जानते हैं कि किस तरह इंतजार करना है क्योंकि अत्याचार और विरोध को धीरज से सहना, ख्रीस्तीय बुलाहट का हिस्सा है। बुराई को निश्चय ही दूर किया जाना चाहिए किन्तु बुरे लोग ही हैं जिनके साथ धैर्य का अभ्यास किया जा सकता है। यह ढोंगी सहिष्णुता नहीं है जो अस्पष्टता को ढंकता बल्कि करुणा द्वारा न्याय को शांत करता है। यदि येसु धर्मियों की अपेक्षा पापियों को खोजने, नीरोगों को नहीं रोगियों को चंगा करने आये (मती. 9,12-13), तो उनके शिष्यों को भी ऐसा करना चाहिए और धीरज रखना चाहिए।
ईश्वर का धैर्य
आज का सुसमाचार पाठ, कहानी में, कार्य करने और जीने के दो रास्तों को प्रस्तुत करता है। एक ओर स्वामी का दृष्टिकोण जो दूर तक देखते हैं, दूसरी ओर सेवकों का दृष्टिकोण जो केवल समस्या को देखते हैं। सेवक ऐसे खेत की चिंता करते हैं जहाँ जंगली बीज न हों, जबकि स्वामी को अच्छे बीजों की चिंता है। पोप फ्रांसिस ने कहा कि प्रभु हमें अपनी नजर को अपनाने का निमंत्रण देते हैं जो अच्छे गेहूँ पर टिका हुआ है जो जंगली पौधों के बीच भी उनकी देखभाल करना जानता है। जो लोग दूसरों की खामियों और कमजोरियों की खोज करते हैं वे ईश्वर के साथ अच्छी तरह सहयोग नहीं करते, बल्कि जो अच्छाई को पहचानना जानते हैं वे कलीसिया एवं इतिहास के खेत में चुपचाप बढ़ते एवं परिपक्वता प्राप्त करते हैं क्योंकि यह केवल ईश्वर का कार्य है जो अच्छा को पुरस्कृत करते किन्तु बुरा को दण्ड देते हैं।
कुँवारी मरियम धैर्य को समझने में मदद दे
धन्य कुँवारी मरियम हमें ईश्वर के धैर्य को समझने एवं उनका अनुसरण करने में मदद दे, जो अपने एक भी बच्चे को खोना नहीं चाहते और जिनको वे पिता के समान प्यार करते हैं। इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना की तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
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