मजदूर दिवस

Labours Day

अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस की शुरुआत 1 मई 1886 को हुई । मजदूर दिवस को श्रमिक दिवस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन अर्थात 1 मई को कई दफ्तरों एवं कार्यालयों में अवकाश रहती है। 1 मई को दुनिया के कई देश मजदूर दिवस मानते है। भारत में पहली बार 1 मई 1923 को हिन्दुस्तान किसान संघ ने मद्रास (चेन्नई) में मजदूर दिवस मनाया था। कनाडा में मजदूर दिवस सितम्बर के पहले सोमवार को मनाया जाता है। मजदूर दिवस पूर्ण रूप से श्रमिकों को समर्पित है। 

मजदूर दिवस का इतिहास 

मजदूर दिवस का इतिहास काफी पुराना है। देखा जाए तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजदूर दिवस की शुरुआत अमेरिका में हुई थी। एक दिन में लगभग 8 घंटे काम करने का यह श्रमिक आंदोलन अमेरिका में गृहयुद्ध के बाद तुरंत शुरू हो गया था। 

अमेरिकी नेशनल लेबर यूनियन ने अगस्त 1866 में अपने अधिवेशन में यह मांग रखी  की कारखानों एवं मिलों के मालिक मजदूरों से एक दिन में 8 घंटे काम ले। चूँकि कारखानों एवं मिलों के मालिक मजदूरों से बंधवा मजदूरों की तरह काम करवाते थे जो उनके दृष्टिकोण से गलत था। अमेरिकी नेशनल लेबर यूनियन द्वारा उठाए गए इस कदम से बंधवा मजदूरों की तरह जीवन व्यतीत कर रहे मजदूरों को साहस मिला और देखते ही देखते यह आंदोलन पूरे अमेरिका में फ़ैल गया। 

11वीं शताब्दी के दशक में अमेरिका के लगभग सभी प्रमुख कारखानों एवं औद्योगिक  शहरों में मजदूर 8 घंटे के काम के माँग को प्रमुखता से उठाने लगे। अमेरिका के शिकागो शहर में 3 मई 1886 को लगभग चालीस हजार मजदूर अपने मांगों को मनवाने के लिए सड़कों पर उतर आये। मजदूरों के नारों से पूरा शिकागो शहर गूंज गया और देखते ही देखते यह आंदोलन उग्र बन गया। पुलिस ने बड़ी बेरहमी से निहत्थे मजदूरों पर गोलियां बरसाई। जिसके फलस्वरूप 6 मजदूरों की मृत्यु हो गई व चालीस के लगभग मजदूर घायल हो गए। जब इन निहत्थे व बेगुनाह मजदूरों का खून बहा तो अनेक मजदूरों में साहस आ गया। उन्होंने अपने मरे व घायल मजदूर साथियों के कपड़ें उठाए और उन कपड़ों को झंडा बना कर आसमान की तरफ लहरा दिया। तभी से खून से रंगा ये लाल झंडा मजदूरों के कठिन संघर्षों का प्रतीक बन गया। 
पुलिस द्वारा निर्ममतापूर्वक मजदूरों पर की गई इस करवाई पर नजर रखते हुए 4 मई को शिकागो के हेमार्केट में मजदूरों के साथ-साथ शहर की जनता ने भी जुलूस निकाला तथा जुलूस के पीछे चल रही पुलिस टुकड़ी पर किसी शरारती तत्व ने देसी बम फेंक दिया। यह बम किसने फेंका किसी को पता नहीं। जिससे एक पुलिस कर्मी की तत्काल मृत्यु हो गई और पांच पुलिस कर्मी घायल हो गये। इसके बाद निष्कर्ष के तौर पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों  पर अंधाधुंध गोली बारी करी और आंदोलन चला रहे नेताओं को पकड़कर फांसी पर लटका दिया। इस दुखद घटना के बाद भी मजदूरों ने अपना संघर्ष जारी रखा। 

वैसे तो इन घटनाओं का अमेरिका पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा। लेकिन कुछ समय के बाद अमेरिका ने मजदूरों के लिए 8 घंटे काम करने का समय निर्धारित कर दिया। अभी के दौर में भारत एवं अन्य देशों में भी मजदूरों के काम करने की अवधि 8 घंटे निर्धारित है। मजदूर दिवस का चुनाव हेमार्केट घटना क्रम की स्मृति में किया गया जो 4 मई 1886 में घटित हुई थी। इन मजदूरों के बलिदानों को पूरे विश्व में स्मरण दिवस मनाने का आह्वान किया गया और बाद में यह मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

- चार्ल्स सिंगोरिया 

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