अपने विवेक को जाग्रत करें

हमारे समाज में कई ऐसे लोग है जो लोग अपनी समस्याओ का समाधान स्वयं नहीं कर पाते है और निरंतर समस्याओं से घिरे रहते हैं । उन्हें यह बात समझना होगा कि समस्या खुद उनके साथ है । अपनी समस्याओ के लिए कही ना कही वह स्वयं जिम्मेदार है। ऐसे लोग अपनी दुविधाओं का अंत नहीं कर पाते, अपनी शंका का नाश नहीं कर पाते और अपने अज्ञान में ही लिप्त रहते है । ऐसे लोग स्वयं के मापदंडों के आधार पर अपना जीवन जीते  है। और विवेक से वंचित रह जाते है।

आखिर क्या ग्राफ है हमारे जीवन का ? जो व्यक्ति अपने अज्ञान का ग्राफ नहीं समझ पा रहा है कि, वह कितना ऊँचा या नीचे जा रहा है ।तो वह अपनी समस्याओ का समाधान कैसे करेगा? जो अपने अहंकार, क्रोध या मनोयोग को नहीं जानता और अपने भीतर के अज्ञान और अविद्या को नहीं पहचानता, वह अपनी वैचारिक सामाजिक, दृष्टिगत व अन्य किसी भी प्रकार की समस्याओं का समाधान कभी नहीं कर पायेगा । ऐसी स्थति में व्यक्ति को चाहिए कि वह किसी न किसी प्रकार अपने मन का स्थायी समाधान करे । स्वयं को समाधान की दिशा में अग्रसर करे, धर्मग्रंथों को पढ़े, पुरोहितों के पास जाए, उनके पास बैठे, गुणवान व अच्छे लोगों से मित्रता करे और ज्ञान प्राप्ति के लिए अपने विवेक को जाग्रत करे। अपने विवेक को जागृत करने के लिए पवित्र आत्मा से सहायता मांगे। पवित्र आत्मा से प्राप्त विवेक से आप अपनी सारी  समस्याओ का समाधान स्वयं कर पाओगे। जो लोग अपने विवेक का कभी लाभ नहीं लेते उन्हें स्थायी समाधान कभी नहीं मिलेगा । धर्मग्रन्थ हमे कहता है कि- ज्ञान हमे ईश्वर की और से प्राप्त होता है। जिस किसी में प्रज्ञा का आभाव हो वह ईश्वर से प्रार्थना करे और ईश्वर उसे पवित्र आत्मा के द्वारा ज्ञान प्रदान करेगा।

- चार्ल्स सिंगोरिया 

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