योहन बपतिस्ता के शिष्य

सन्त लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार

07:18-23

 

योहन के शिष्यों ने योहन को इन सब बातों की ख़बर सुनायी।

योहन ने अपने दो शिष्यों को बुला कर ईसा के पास यह पूछने भेजा, "क्या आप वही हैं, जो आने वाले हैं या हम किसी और की प्रतीक्षा करें?"

इन दो शिष्यों ने ईसा के पास आ कर कहा, "योहन बपतिस्मा ने हमें आपके पास यह पूछने भेजा है-क्या आप वहीं हैं, जो आने वाले हैं या हम किसी और की प्रतीक्षा करें?"

उस समय ईसा बहुतों को बीमारियों, कष्टों और अपदूतों से मुक्त कर रहे थे और बहुत-से अन्धों को दृष्टि प्रदान कर रहे थे।

उन्होंने योहन के शिष्यों से कहा, "जाओ, तुमने जो सुना और देखा है, उसे योहन को बता दो-अन्धे देखते हैं, लंगड़े चलते हैं, कोढ़ी शुद्ध किये जाते हैं, बहरे सुनते हैं, मुर्दे जिलाये जाते हैं, दरिद्रों को सुसमाचार सुनाया जाता है

और धन्य है वह, जिसका, विश्वास मुझ पर से नहीं उठता!"

योहन द्वारा भेजे हुए शिष्यों के चले जाने के बाद ईसा लोगों से योहन के विषय में कहने लगे, "तुम निर्जन प्रदेश में क्या देखने गये थे? हवा से हिलते हुए सरकण्डे को? नहीं!

तो, तुम क्या देखने गये थे? बढि़या कपड़े पहने मनुष्य को? नहीं! कीमती वस्त्र पहनने वाले और भोग-विलास में जीवन बिताने वाले महलों में रहते हैं।

आखि़र तुम क्या देखने निकले थे? किसी नबी को? निश्चय ही! मैं तुम से कहता हूँ, - नबी से भी महान् व्यक्ति को।

यह वही है, जिसके विषय में लिखा है-देखो, मैं अपने दूत को तुम्हारे आगे भेजता हूँ। वह तुम्हारा मार्ग तैयार करेगा।

मैं तुम से कहता हूँ, मनुष्यों में योहन बपतिस्ता से बड़ा कोई नहीं। फिर भी, ईश्वर के राज्य में जो सब से छोटा है, वह योहन से बड़ा है।

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