योहन बपतिस्ता का जन्म

सन्त लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार

01:57-66

 

एलीज़बेथ के प्रसव का समय पूरा हो गया और उसने एक पुत्र को जन्म दिया।

उसके पड़ोसियों और सम्बन्धियों ने सुना कि प्रभु ने उस पर इतनी बड़ी दया की है और उन्होंने उसके साथ आनन्द मनाया।

आठवें दिन वे बच्चे का ख़तना करने आये। वे उसका नाम उसके पिता के नाम पर ज़करियस रखना चाहते थे,

परन्तु उसकी माँ ने कहा, "जी नहीं, इसका नाम योहन रखा जायेगा।"

उन्होंने उस से कहा, "तुम्हारे कुटुम्ब में यह नाम तो किसी का भी नहीं है"।

तब उन्होंने उसके पिता से इशारे से पूछा कि वह उसका नाम क्या रखना चाहता है।

उसने पाटी मँगा कर लिखा, "इसका नाम योहन है"। सब अचम्भे में पड़ गये।

उसी क्षण ज़करियस के मुख और जीभ के बन्धन खुल गये और वह ईश्वर की स्तुति करते हुए बोलने लगा।

सभी पड़ोसी विस्मित हो गये और यहूदिया के पहाड़ी प्रदेश में ये सब बातें चारों ओर फैल गयीं।

सभी सुनने वालों ने उन पर मन-ही-मन विचार कर कहा, "पता नहीं, यह बालक क्या होगा?" वास्तव में बालक पर प्रभु का अनुग्रह बना रहा।

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