बहुतों को स्वास्थ्यलाभ

सन्त मत्ती के अनुसार पवित्र सुसमाचार

15:29-37

 

ईसा वहाँ से चले गये और गलीलिया के समुद्र के तट पर पहुँच कर एक पहाड़ी पर चढे़ और वहाँ बैठ गये।

भीड़-की-भीड़ उनके पास आने लगी। वे लँगडे़, लूले, अन्धे, गूँगे और बहुत से दूसरे रोगियों को भी अपने पास ला कर ईसा के चरणों में रख देते और ईसा उन्हें चंगा करते थे।

गूँगे बोलते हैं, लूले भले-चंगे हो रहे हैं, लँगड़े चलते और अन्धे देखते हैं- लोग यह देखकर बड़े अचम्भे में पड़ गये और उन्होंने इस्राएल के ईश्वर की स्तुति की।

ईसा ने अपने शिष्यों को अपने पास बुला कर कहा, "मुझे इन लोगों पर तरस आता है। ये तीन दिनों से मेरे साथ रह रहें हैं और इनके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है। मैं इन्हें भूखा ही विदा करना नहीं चाहता। कहीं ऐसा न हो कि ये रास्ते में मूर्च्छित हो जायें।''

शिष्यों ने उन से कहा, "इस निर्जन स्थान में हमें इतनी रोटियाँ कहाँ से मिलेंगी कि इतनी बड़ी भीड़ को खिला सकें?"

ईसा ने उन से पूछा, "तुम्हारे पास कितनी रोटियाँ हैं? उन्होंने कहा, "सात, और थोड़ी-सी छोटी मछलियाँ"।

ईसा ने लोगों को भूमि पर बैठ जाने का आदेश दिया

और वे सात रोटियाँ और मछलियाँ ले कर उन्होंने धन्यवाद की प्रार्थना पढ़ी, और वे रोटियाँ तोड़-तोड़ कर शिष्यों को देते गये और शिष्य लोगों को।

सबों ने खाया और खा कर तृप्त हो गये और बचे हुए टुकड़ों से सात टोकरे भर गये।

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