फल से पेड़ की पहचान

सन्त लूकस के अनुसार पवित्र सुसमाचार

6:43-49

"कोई अच्छा पेड़ बुरा फल नहीं देता और न कोई बुरा पेड़ अच्छा फल देता है।

हर पेड़ अपने फल से पहचाना जाता है। लोग न तो कँटीली झाडि़यों से अंजीर तोड़ते हैं और न ऊँटकटारों से अंगूर।

अच्छा मनुष्य अपने हृदय के अच्छे भण्डार से अच्छी चीजे़ं निकालता है और जो बुरा है, वह अपने बुरे भण्डार से बुरी चीज़ें निकालता है; क्योंकि जो हृदय में भरा है, वहीं तो मुँह से बाहर आता है।

"जब तुम मेरा कहना नहीं मानते, तो ’प्रभु! प्रभु! कह कर मुझे क्यों पुकारते हो?

जो मेरे पास आ कर मेरी बातें सुनता और उन पर चलता है-जानते हो, वह किसके सदृश है?

वह उस मनुष्य के सदृश है, जो घर बनाते समय गहरा खोदता और उसकी नींव चट्टान पर डालता है। बाढ़ आती है, और जलप्रवाह उस मकान से टकराता है, किन्तु वह उसे ढा नहीं पाता; क्योंकि वह घर बहुत मज़बूत बना है।

परन्तु जो मेरी बातें सुनता है और उन पर नहीं चलता, वह उस मनुष्य के सदृश है, जो बिना नींव डाले भूमितल पर अपना घर बनाता है। जल-प्रवाह की टक्कर लगते ही वह घर ढह जाता है और उसका सर्वनाश हो जाता है।"

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