जागते रहो

सन्त मारकुस के अनुसार पवित्र सुसमाचार

13:33-37

 

 "सावधान रहो। जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि वह समय कब आयेगा।

यह कुछ ऐसा है, जैसे कोई मनुष्य विदेश चला गया हो। उसने अपना घर छोड़ कर उसका भार अपने नौकरों को सौंप दिया हो, हर एक को उसका काम बता दिया हो और द्वारपाल को जागते रहने का आदेश दिया हो।

तुम नहीं जानते कि घर का स्वामी कब आयेगा- शाम को, आधी रात को, मुर्गे के बाँग देते समय या भोर को। इसलिए जागते रहो।

कहीं ऐसा न हो कि वह अचानक पहुँच कर, तुम्हें सोता हुआ पाये।

जो बात मैं तुम लोगों से कहता हूँ, वही सब से कहता हूँ - जागते रहो।"

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